
सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा, "मैं खुद दो बार बीआरडी कॉलेज गया था। इस पर नरेंद्र मोदी भी चिंतित हैं। मैं मीडिया से कहना चाहता हूं कि तथ्यों को सही तरह से रखा जाए। आप सही आंकड़े देंगे तो ये मानवता की बड़ी सेवा होगी।" जब मीडिया ने योगी से सवाल किए तो योगी ने कहा- "मैं नहीं समझ पा रहा हूं कि आखिर आप इस इश्यू को कहां ले जाना चाहते हैं।"
यूपी के हेल्थ मिनिस्टर ने खुद माना कि मेडिकल कॉलेज में 7 अगस्त से अबतक 60 बच्चों समेत 63 मौत हुई। एक तरफ सरकार का कहना है कि मौतें ऑक्सीजन की सप्लाई बंद होने से नहीं हुई हैं। दूसरी तरफ ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी के मालिक को पकड़ने के लिए छापामार कार्रवाई चल रही है। वो यहां वहां छुपता भाग रहा है।
पीएम दुखी हैं, केंद्र हर मदद देने को तैयार
शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में योगी ने कहा- "9 जुलाई और 9 अगस्त को बीआरडी का दौरा किया। बैठक की है। इन्सेफिलाइटिस और दूसरी बीमारियों से जुड़ा क्या एक्शन प्लान होना चाहिए, इस पर चर्चा की थी। मीडिया में जो रिपोर्ट्स आई हैं, पीएम उससे दुखी हैं। उन्होंने कहा कि यूपी को हेल्थ सेक्टर को मजबूत करने में जो मदद चाहिए, उसके लिए केंद्र मदद करेगा। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री अनुप्रिया पटेल जी यहां आई हैं। केंद्र और राज्य के अफसर वहां पर मौजूद हैं।
तथ्यों को सही ढंग से रखा जाए
मैं आपसे कहना चाहता हूं कि तथ्यों को सही तरह से रखा जाए। आज अलग-अलग पेपर्स में अलग आंकड़े पब्लिश हुए हैं। 7 अगस्त को 9 मौतें हुई हैं। 8 अगस्त को 12 मौतें हुई हैं। 9 अगस्त को 9 मौतें हुई हैं। 10 अगस्त को 23 मौतें और 11 अगस्त को 12 बजे तक 11 मौतें हुई हैं।
एक हफ्ते में रिपोर्ट देगी कमेटी
योगी ने बताया- "ऑक्सीजन सप्लाई अगर रुकी है, तो सप्लायर की भूमिका पर सवाल है? चीफ कमेटी की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की है। एक हफ्ते के भीतर रिपोर्ट देगी। पिछली सरकार में 2014 में ये टेंडर सप्लायर को दिया गया है। उसकी भूमिका के बारे में भी जांच होगी। सरकार बनने के साथ ही निर्देश दिए गए हैं कि इमरजेंसी सेवाओं, डेवलपमेंट प्रोग्राम्स में बाधा ना आए। कोई भी फाइल 3 दिन से ज्यादा किसी भी टेबल पर ना रुके। मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल में दवा और जरूरी सेवाओं के लिए पैसे की कमी ना हो। ये सुनिश्चित किया जाए।
दोषियों को बख्शने का सवाल ही नहीं
योगी ने बताया- "किसी संवेदनशील मुद्दे को हम उठा रहे हैं। ऑक्सीजन की कमी से मौत का मतलब एक जघन्य कृत्य है। हमें लगता है कि मेडिकल एजुकेशन के डीजी अभी गोरखपुर में हैं। कार्रवाई की गई है और दोषी सामने आने पर उन्हें बख्शने का सवाल ही नहीं है।
अगस्त के महीने में सबसे ज्यादा मौते होतीं हैं
हेल्थ मिनिस्टर सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा, "हर साल अगस्त में ज्यादा मौतें होती हैं। अगस्त का महीने में 2014 में बीआरडी में पेड्रियाटिक विंग में 567 बच्चों की मौतें हुईं। 19 बच्चे हर रोज मौत के मुंह में गए। 2015 में 668 मौतें हुईं, करीब 22 बच्चों की मौत हर दिन हुईं। 2016 में 587 बच्चों की मौत यानी 19-20 मौतें हर रोज हुई थीं।"
डॉक्टरों ने दर्ज किया हर मौत का कारण
"10 तारीख को सुबह 3.30 बजे किडनी इंजरी की वजह से पहली मौत हुई।
एक बच्चे की मौत NICU में हुई थी।
3.45 मिनट पर 3 दिन के बच्चे की मौत हुई, प्री टर्म डिलिवरी थी और कमजोर बच्चा था।
4 बजे सुबह एक बच्चे की मौत हुई, वो भी कमजोर था।
6.30 बजे सुबह जिस बच्चे की मौत हुई, बच्चे को निमोनिया हो गया था।
5वीं मौत 10.30 बजे हुई थी, 6 दिन के बच्चे की मौत इन्फेक्शन की वजह से हुई थी।
11 बजे इन्सेफिलाइटिस और 11.40 पर लो वेट की वजह से मौत हुई, इसके बाद 11.45 पर किडनी की प्रॉब्लम के चलते मौत हुई।
1.30 बजे जिस बच्चे की मौत हुई, वो भी किडनी की वजह से हुई।
2.30 मिनट पर बच्चे की मौत हुई, 3.15 मिनट, 4.00 बजे, 4.45 लो वेट या इन्फेक्शन की वजह से हुई।
शाम 5.10 बजे जिस बच्चे की मौत हुई, वो सांस की दिक्कत की वजह से मौत हुई।
6.25 मिनट पर इन्फेक्शन की वजह से।
6.45 मिनट पर शॉक, 7.45 इन्फेक्शन, 8.00 बजे इन्फेक्शन, 8.40 पर हॉर्ट डिजीज की वजह से बच्चे की मौत हुई।
10.05 रात में इन्फेक्शन की वजह से मौत हुई।