
मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी पुष्पा सेल्स प्राइवेट लिमिटेड के एडवोकेट विवेक गुप्ता ने शनिवार को बताया- "कंपनी की तरफ से पेंडिंग पेमेंट के भुगतान के लिए बीआरडी कॉलेज को 14 रिमाइंडर भेजे गए। इसके बाद भी पेमेंट नहीं मिला। इस वजह से 4 अगस्त को आखरी बार टैंकर भेजा गया और सप्लाई बंद कर दी गई।
14 रिमाइंडर भेजे थे
विवेक गुप्ता बताया कि, ''कंपनी की ओर से मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल को 26 फरवरी से 18 जुलाई 2017 के बीच कुल 14 रिमाइंडर भेजे गए थे। इसमें 26, 28 फरवरी, 6, 12, 17 और 24 अप्रैल, 2, 16 और 29 मई, 3, 6, 13 और 28 जून और 18 जुलाई 2017 के बीच रिमाइंडर भेजे गए।
प्रिंसिपल ने किसी रिमामाइंडर का जवाब नहीं दिया
इन रिमाइंडर में कंपनी का 63,65,702 रुपए बकाया भुगतान करने की बात कही गई थी। इतने रिमाइंडर के बाद भी प्रिंसिपल की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया। इसके बाद 30 जुलाई 2017 को कंपनी की ओर से लीगल नोटिस भेजा गया था। लीगल नोटिस में साफ तौर से लिखा गया था कि भुगतान न होने पर तीसरा पक्ष (आई नॉक्स) आपूर्ति जारी रखने में परेशानी खड़ी कर रहा है।
लीगल नोटिस भेजा, 1 अगस्त को आखरी चेतावनी भी दी
गुप्ता ने बताया- "जब हमारे नोटिस का कोई जवाब नहीं दिया तब 1 अगस्त को कंपनी ने आखिरी चेतावनी दी थी। 4 अगस्त से मेडिकल कॉलेज को ऑक्सीजन की सप्लाई बंद कर दी गई। प्रिंसिपल की ओर से भुगतान न करने की वजह बजट का न होना बताया जाता था। ये वही बता सकते हैं कि बजट क्यों नहीं मिल सका।
दिल्ली हाई कोर्ट के क्रिमिनल लॉयर अरुण शर्मा ने बताया- " यह मामला लापरवाही में हुआ हादसा नहीं है। यह गैर-इरादतन हत्या का मामला है। मामले में गैस सप्लाई करने वाली कंपनी को पता था कि अगर मरीजों को ऑक्सीजन नहीं मिलेगी तो उनकी जिंदगी खतरे में पड़ जाएगी। साथ ही अस्पताल को पता था कि अगर बकाया भुगतान नहीं किया जाएगा तो कंपनी गैस सप्लाई रोक देगी और मरीजों की जान जा सकती है। दोनों पक्षों के साथ ही वे सभी लोग जिम्मेदार हैं जिन्हें कंपनी ने बकाया भुगतान का लीगल नोटिस भेजा था।