
2008 में हुई थी सुनवाई की शुरुआत
पांचों संदिग्धों के खिलाफ मुख्य सुनवाई जनवरी 2008 में शुरू हुई जबकि मुशर्रफ, अजीज तथा शहजाद के खिलाफ सुनवाई फेडरल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी की नई जांच के बाद 2009 में शुरू की गई। इस अवधि में आठ अलग-अलग न्यायाधीशों ने मामले की सुनवाई की। बेनजीर की हत्या के लिए शुरू में टीटीपी के प्रमुख बैतुल्ला मेहसूद को जिम्मेदार ठहराया गया। मुशर्रफ की सरकार ने मेहसूद की एक अन्य व्यक्ति के साथ बातचीत का टेप जारी किया जिसमें वह हत्या के लिए व्यक्ति को बधाई दे रहा है। बता दें कि पीपीपी सरकार ने 2009 में बेनजीर मर्डर केस में फिर से जांच के आदेश दिए और एफआईए के जेआईटी ने जनरल मुशर्रफ, सऊद अजीज और एसएसपी खुर्रम शहजाद को आरोपी बताया था।
बेनजीर की हत्या के आरोपी
जब बेनजीर की हत्या की गई थी तब परवेज मुशर्रफ पाकिस्तान के राष्ट्रपति थे और वह भी बेनजीर मामले में एक आरोपी हैं। उनके पाकिस्तान लौटने पर उनके खिलाफ सुनवाई अलग से होगी। संघीय जांच एजेंसी (एफआईए) के मुख्य अधिवक्ता मोहम्मद अजहर चौधरी ने प्रतिबंधित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के पूर्व मुखिया व एक मौलाना के बीच बातचीत के ऑडियो रिकॉर्ड के प्रमाण तथा फोन कॉल्स के सबूतों को खारिज कर दिया जिसमें बेनजीर की हत्या के लिए आतंकियों को बधाई दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मुशर्रफ ने जांचकर्ताओं को गुमराह करने और अपने आपको बचाने के लिए यह कहानी गढ़ी है। चौधरी ने दावा किया कि जनरल मुशर्रफ ने अपने सहयोगी रिटायर्ड ब्रिगेडियर जावेद इकबाल चीमा के जरिए मनगढंत कहानी बनाई। उनके अनुसार, जनरल मुशर्रफ भी आरोपी थे और बेनजीर की हत्या के लिए साजिश की थी।
मुशर्रफ पर लगे अन्य आरोप
नवाब अकबर खान बुगती पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत के एक राष्ट्रवादी नेता थे जो बलूचिस्तान को पाकिस्तान से अलग एक देश बनाने के लिए संघर्ष कर रहे थे। 2006 में बलूचिस्तान के कोहलू जिले में एक सैन्य कार्रवाई में अकबर बुगती और उनके कई सहयोगियों की हत्या कर दी गई थी। इस अभियान का आदेश जनरल परवेज़ मुशर्रफ ने दिया था जो तब देश के सैन्य प्रमुख और राष्ट्रपति दोनों थे।
आपातकाल
मुशर्रफ ने पाकिस्तान में 2007 में आपातकाल लागू कर दिया था। इससे पहले मुशर्रफ ने पाकिस्तान की लोकतांत्रिक सरकार का तख्ता पलट किया और खुद राष्ट्रपति बन बैठा।
लाल मस्जिद पर हमला
मुशर्रफ के आदेश पर 2007 में लाल मस्जिद पर सैन्य कार्रवाई की गई जिसमें लगभग 90 धार्मिक विद्यार्थियों की मृत्यु हो गई थी।
शीर्ष न्यायाधीश की बर्खास्तगी
9 मार्च 2007 को उन्होंने शीर्ष न्यायाधीश इफ्तिखार मोहम्मद चौधरी को जबरन पदमुक्त कर दिया। उनके इस कदम के बाद समूचे पाकिस्तान में वकीलों ने मुशर्रफ के खिलाफ आंदोलन किया।