
सेबी ने पाया कि बीटल बकरी पालन की योजना चला रही थी और उसने विभिन्न अखबारों में विज्ञापनों के जरिये आम जनता को योजना में निवेश के लिये आमंत्रित किया। कंपनी ने न्यूनतम 6,000 रुपए के निवेश पर एक से दो प्रतिशत प्रति महीने ब्याज की पेशकश की। निवेशकों ने योजना में होने वाले लाभ और आय के मद्देनजर निवेश किया।
बीटल ने एक मुश्त राशि के साथ-साथ नियमित आधार पर रिटर्न का भी वादा किया। सेबी ने आदेश में कहा कि कंपनी ने सामूहिक निवेश योजना के जरिये लोगों से पैसे जुटाये और यह सब नियामक के पास पंजीकरण कराये बिना किया गया।