अक्सर देर रात घर क्यों लौटती है वर्णिका कुंडू, ये रहा जवाब

नई दिल्ली। भाजपा के सोशल मीडिया सोल्जर्स किसी को भी मशहूर और बदनाम करने का माद्दा रखते हैं। भारत के स्वर्गवासी स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों से लेकर जिंदा इंसानों तक वो किसी की भी प्रतिष्ठा का फैसला कर देते हैं। इन दिनों बात वर्णिका कुंडू की चल रही है। आईएएस वरिंद्र कुंडू की 29 साल की बेटी जो हरियाणा में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला के बेटे विकास बराला के अनचाहे हमले का शिकार हुई। सोशल मीडिया पर बड़ी मासूमियत से सवाल उछाला गया कि 'विकास बराला का अपराध अक्षम्य है लेकिन वर्णिका इतनी रात में क्या कर रही थी।' 

प्रतिप्रश्न यह है कि यदि वर्णिका किसी रात्रिजागरण भजन कार्यक्रम से लौट रही थी तो क्या विकास को सजा ए मौत मिल देते और यदि वो किसी पार्टी से लौट रही थी तो वो भी अपराधी हो गया। आजादी के 71वें साल में प्रवेश कर रहे भारत में क्या बेटियों को देर रात घर लौटने की इजाजत नहीं है। खैर, बहस लंबी है, एक तरफ कानून की बात है तो दूसरी तरफ संस्कारों के ठेकेदार। आइए पता लगाते हैं कि वर्णिका देर रात घर क्यों लौटती है। वो उसी रात अकेले लौटती है या इससे पहले भी लौटती रही है और सबसे बड़ी बात कि उसके पिता को आपत्ति क्यों नहीं है। 

हरियाणा के वरिष्ठ आईएएस वरिंद्र कुंडू की 29 साल की बेटी वर्णिका कुंडू के नाम चंडीगढ़ की पहली महिला डीजे का खिताब है। वर्णिका दिल्‍ली-मुंबई-चंडीगढ़ में शो करती हैं और कुछ समय पहले वे शो करने के लिए मिस्र भी गई थीं। वर्णिका की छोटी बहन दिल्‍ली में पढ़ती है। वर्णिका बताती हैं ​कि वे हमेशा से ही ऐसी नौकरी करना चाहती थीं, जिसमें पूरा दिन वे म्‍यूजिक सुन सकें। इसलिए उन्होंने डीजे बनना का फैसला किया और उनके इस फैसले को पूरे परिवार का सपोर्ट मिला। 

वर्णिका बताती हैं कि उनके म्यूजिक के शौक को देखते हुए पिता ने उन्‍हें बर्थडे पर ऑडियो मिक्‍सर लाकर दिया था, तब वे क्‍लास 5 में थीं। वर्णिका कुंडू ने 2010 में पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ से ग्रेजुएशन की है और उनकी आदत लीक से हटकर चलने की है। वर्णिका का लक्ष्‍य अपना खुद का म्‍यूजिक तैयार करना है। इसके लिए उन्‍होंने कई ट्रैक बनाए भी हैं। आजकल वे अपने एलबम की तैयारी भी कर रही हैं। कहा जाता है कि वर्णिका रियल लाइफ में काफी बोल्ड हैं और खुलकर अपनी लाइफ जीती हैं।

वर्णिका के दोस्तों का कहना है कि उनकी हिम्मत और बहादुरी का अंदाजा इसी से लगा लीजिए कि उस रात वह डर गई ​थी, लेकिन फिर भी उसने पुलिस को फोन किया। लड़कों का पकड़वाया और फिर पिता के साथ थाने पहुंची। अगले दिन मीडिया के सामने भी खुलकर बोली। हालांकि उसके चरित्र पर सवाल उठे, फिर भी वह डिगी नहीं और सवाल उठाने वालों को जवाब दिए।

शायद इसके बाद सोशल मीडिया पर खाप पंचायत चलाने वालों को जवाब मिल गया होगा। वो चाहें तो उनकी पार्टी सत्ता में है। तालिबानी फैसला करा लें। भारत में लड़कियों के देर रात अकेले घर वापस आने पर प्रतिबंध लगवा दें। इसके बाद यदि वर्णिका देर रात लौटे तो गिरफ्तार कर लीजिए, लेकिन इससे पहले अपनी बेटी को इस तरह बदनाम करने का हक कानून आपको नहीं देता, सरपंच साहब। 

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