
गणेश जन्म और पार्थिव पूजा
भगवान गणेश का निर्माण माता पार्वती ने अपने शरीर के उबटन से किया था तथा उबटन के लिये कई तरह की मिट्टी भी ली जाती है इसीलिये भगवान गणेश का निर्माण भिन्न रंग की मिट्टी से किया जाता है जिसके कारण नवग्रहों की कृपा प्राप्त होती है।
सफेद मिट्टी
सफेद मिट्टी से गणपति के निर्माण से चंद्र तथा शुक्र जनित कष्टों का निवारण होता है। माता को कोई कष्ट हो या फ़िर वैवाहिक जीवन से जुड़ा कोई कष्ट हो तो सफेद मिट्टी से गणेश निर्माण तथा पूजन करना चाहिये।
काली मिट्टी
पूरे दक्षिण भारत मॆ काले रंग की मूर्ति का पूजन किया जाता है। दक्षिण दिशा में शनिदेव का विशेष प्रभाव है। काली मिट्टी से गणेश निर्माण से शनिकृत व्यापार निर्माण, पेट्रोल
वकालत, चिकित्सा आदि मॆ आने वाले विध्नों का नाश होता है। साथ ही शनिजनित पीडा का नाश होता है।
पीली मिट्टी
इस मिट्टी से गणपति का निर्माण गुरु तथा केतु ग्रह जनित कष्ट जैसे विद्या मॆ रुकावट, संतानकष्ट, उदररोग, आर्थिक कष्ट से मुक्ति दिलाता है। पीले गणपति वंशवृद्धि पुत्र प्राप्ति मॆ सहायक होते है।
लाल मिट्टी
गणपति बप्पा मंगलमूर्ति है लाल रंग की मिट्टी से गणपति निर्माण मंगल तथा सूर्यजनित कष्टों से छुटकारा दिलाती है। भूमि, भवन, पति पत्नी के मंगल दोष, भाईयो मॆ बैर तथा राजकीय पीड़ा आदि लाल रंग गणपति पूजन से दूर होती है।
हरी मिट्टी
बुध तथा राहु जनित कष्ट जैसे व्यापार विस्तार, विधा प्राप्ति तथा किसी षडयंत्र को भेदने के भेदने के लिये हरे मिट्टी का गणपति निर्माण श्रेष्ठ परिणाम देता है।
गणेश पूजन मॆ खास बातें
भगवान गणेश को दूर्वा (हरी घास) तथा मौदक अत्यंत प्रिय है मोद्को की संख्या 7 के गुणांक जैसे 7, 16, 25 हो तो श्रेष्ठ होता है।
भगवान गणेश के लिये दूर्वा रविवार के दिन नही तोड़ना चाहिये।
भाद्रपद चतुर्थी के दिन चंद्रदर्शन नही करना चाहिये।
भगवान गणेश को तुलसी भूलकर भी नही चढ़ाना चाहिये।
भगवान गणेश के पूजन से बुद्धि धैर्य तथा संतान सुख प्राप्त होता है।
प.चंद्रशेखर नेमा"हिमांशु"
9893280184,7000460931