
चीन फॉरेन मिनिस्ट्री के स्पोक्सपर्सन हुआ चुनयिंग ने कहा, "मैंने देखा की भारत में जापान के एम्बेसडर वाकई इंडिया का सपोर्ट करना चाहते हैं। मैं उन्हें याद दिलाना चाहूंगी कि बिना तथ्यों की जांच किए इस तरह के कमेंट ना करें। डोंगलांग (डोकलाम) एरिया में किसी भी तरह का टेरिटोरियल डिस्प्यूट नहीं है। और, सीमाओं को दोनों देशों की तरफ से तय किया गया है। इसके बदलने की कोशिश इंडिया घुसपैठ के जरिए कर रहा है, ना कि चीन।
शिंजो आबे सितंबर में आएंगे भारत
न्यूज एजेंसी के मुताबिक भारत में जापान के एम्बेसडर केनजी हिरामात्सु ने नई दिल्ली के सामने इस मुद्दे पर टोक्यो की स्थिति साफ की है। उन्होंने ये भी कहा, "हम मानते हैं कि डोकलाम भूटान और चीन के बीच विवादित क्षेत्र है और दोनों देश बातचीत कर रहे हैं। हम ये भी समझते हैं कि भारत की भूटान के साथ एक ट्रीटी है और इसी वजह से भारतीय सैनिक इलाके में मौजूद हैं। बता दें कि जापान का नजरिया वहां के पीएम शिंजो आबे के भारत दौरे से पहले आया है। आबे 13 से 15 सितंबर तक भारत दौरे पर आने वाले हैं।
केनजी भूटान में भी जापान के एम्बेसडर हैं। उन्होंने अगस्त की शुरुआत में भूटान के पीएम शेरिंग तोबगे से मुलाकात की थी और उन्हें भी इस मसले पर जापान के रुख की जानकारी दी थी।
भूटान ने कहा था- हमारे क्षेत्र में सड़क बनाना समझौते का वॉयलेशन
भूटान सरकार ने 29 जून को एक प्रेस रिलीज जारी कर डोकलाम विवाद पर अपना पक्ष रखा था। भूटान ने कहा था, "हमारे क्षेत्र में सड़क बनाना सीधे तौर पर समझौते का वॉयलेशन है, जिससे दोनों देशों के बीच बाउंड्री तय करने के प्रॉसेस पर असर पड़ सकता है।"
अमेरिका भी कर चुका है भारत का सपोर्ट
जापान से पहले अमेरिका ने भी इस मुद्दे पर अपनी स्थिति साफ की थी। अमेरिका ने कहा है कि भारत-चीन को डोकलाम विवाद के हल के लिए बातचीत की मेज पर आना चाहिए। अमेरिका ने जमीन पर एकतरफा बदलाव को लेकर चीन को सतर्क भी किया था। ऐसा कर यूएस ने भारत के नजरिये का सपोर्ट किया था।