
सरकार की ओर से बैंक कर्मचारियों की मांगों की उपेक्षा करने पर यह निर्णय लिया गया। उन्होंने बताया कि बैंकों का निजीकरण न करना, चार से पांच बैंकों को मिलाकर एक बड़ा बैंक न बनाना, एनपीए को कम करने के लिए कड़ा कानून बनाना, वेतनमान बड़ाना और बेहतर सेवा से जुड़ी मांगे हैं।
उन्होंने बताया कि 22 अगस्त को बैंक कर्मचारी परेड मैदान के पास एकत्रित होकर अपना आक्रोश व्यक्त करेंगे। उन्होंने यह भी बताया कि यूनियन में कुछ प्राइवेट बैंक के कर्मचारी भी सदस्य है। सीटू का भी समर्थन बैंकों की हड़ताल को सीटू ने भी अपना समर्थन दिया है। सीटू के प्रदेश अध्यक्ष विरेंद्र भंडारी का कहना है कि बैंकों का निजीकरण करना ठीक नहीं है। वहीं देश में एनपीए काफी ज्यादा है। तमाम लोगों ने बैंकों से लोन तो लिया, लेकिन उसे वापस नहीं कर रहे। इससे बैंकों के आगे बड़ी दिक्कत है। सरकार को लोन की वसूली के लिए कड़ा कदम उठाना चाहिए। भंडारी का कहना है कि सीटू के अलावा अन्य ट्रैड यूनियन ने भी अपना समर्थन दिया हुआ है।