वर्णिका, समाज और रसूखदार लाडले

राकेश दुबे@प्रतिदिन। प्रगतिशील भारत, सबका साथ सबका विकास, बेटी बचाओ- बेटी पढाओ जैसे नारे आधुनिक काल के ही नारे हैं। जिसमे, वर्णिका कुंडू के साथ घटी घटना और उस पर हुई कार्रवाई, “समाज की कथित सभ्यता और समानता” की बात पर भी सवाल खड़ा करती है। शुक्रवार की रात वर्णिका की कार का पीछा किया गया। उसका मार्ग अवरुद्ध किया और सामने गाड़ी अड़ा कर उसके शीशे पर ठक-ठक की गई। आरोपितों ने कार का दरवाजा खोलने की भी कोशिश की। वर्णिका ने सतर्कता दिखाते हुए, कार को रिवर्स कर तेजी से निकाला। छेड़खानी व उपद्रव करने वाला युवक विकास अपने साथी आशीष के साथ नशे की हालत में था।

विकास हरियाणा भाजपा प्रमुख सुभाष बराला का बेटा है, परन्तु अब भारत में सत्ता की मधांता का प्रतीक बना गया है। दोनों को गिरफ्तार कर रिहा कर दिया गया। रसूखदार पिता और सत्ता की मधांता ने हमेशा की तरह पुलिस से हल्की-फुल्की कार्रवाई ही कराई। शुरू में पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज गायब होने की बात की थी, परंतु कांग्रेस व सोशल मीडिया में हुई छीछालेदर के बाद पुलिस को बयान देना पड़ा कि उसने ‘गायब’ फुटेज हासिल कर ली है। जैसा कि हमेशा से होता आया है, रसूखदारों के लिए न्याय का मखौल बनाने के प्रयास हुए। 

इस बार पहले से इतर राहुल गांधी ने ट्वीट कर आरोपी को बचाने के आरोप लगाने की पहल की। आम तौर पर इस तरह के मामलों में राजनीतिक दल बच निकलने का प्रयास करते हैं।हरियाणा के मुख्यमंत्री ने यह कह कर पल्ला झाड़ लिया कि मामले को व्यक्तिगत तौर पर देखा जाए, कानून अपना काम करेगा। जिसे जनता ने सोशल मीडिया पर गैरजिम्मेदाराना और टालू बता दिया। पार्टी का कहना है कि यह बेटे का मामला है, इसे अध्यक्ष के साथ नहीं जोड़ा जाना चाहिए। पीड़िता वरिष्ठ नौकरशाह की बेटी है लेकिन वर्णिका ने अपने साथ घटी भयावह घटना को फेसबुक पर पोस्ट किया। 

वर्णिका ने लिखा कि “मैं खुशकिस्मत हूं कि मेरा रेप नहीं हुआ..ना ही मैं मरी पाई गई। मैं रो रही थी। मेरे हाथ कांप रहे थे। मुझे पता नहीं था कि पुलिस वाले आएंगे भी या नहीं।” उसके यह वाक्य भारतीय समाज और व्यवस्था के प्रति आईना है, जिसमे मदहोश सत्ता की कुरूप तस्वीर दिखती है। वर्णिका बाद में साहस का परिचय देते हुए मीडिया के सामने आ गई। उसने अपना चेहरा नहीं छिपाया और आत्मविश्वास के साथ कहा कि मैं छिपना नहीं चाहती। ऐसा जज्बा भारत में कितनी प्रतिशत महिलाओं में है। 

नारी को पूजने के बात करने वाले देश में किये गये सर्वेक्षणों में 85 प्रतिशत महिलाएं स्वीकारती हैं कि उनके साथ किसी-न-किसी प्रकार की अभद्रता कभी-न-कभी हुई है। मुंबई में भी अदिति नागपाल के साथ छेड़छाड़ का मामला दर्ज किया गया है, तमाम कानूनों और बातों के बावजूद लड़कियों के भीतर सुरक्षा बोध पैदा करने में भारतीय समाज चूक रहा है। उन तमाम रसूखदार पुरुषों के भीतर कानून का भय भी नहीं पैदा हो पा रहा है। आश्चर्य तो और ज्यादा तब होता है, जब कथित संस्कार का दावा करने वाले परिवारों के लाडले कठघरे में खड़े दिखते हैं।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।        
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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