नस्लवाद से नाराज हुआ यह भारतीय क्रिकेटर, ट्वीटर पर निकाली भड़ास

माना जाता है कि खेलों में नस्लवाद के लिए कोई जगह नहीं है परंतु भारत का ​एक क्रिकेट स्टार कई बार नस्लवाद का शिकार हुआ है। उसने कभी अपने खिलाफ आने वाली नस्लवादी टिप्पणियों को रिप्लाई नहीं किया लेकिन अब उसने अपनी सारी भड़ास ट्वीटर पर निकाली है। उसका कहना है कि सिर्फ गोरे लोग ही हैंडसम नहीं होते। यह खिलाड़ी है टीम इंडिया के सलामी बल्लेबाज अभिनव मुकुंद। उन्होंने ट्वीट कर नस्लवाद पर कड़ा प्रहार किया है। उन्होंने पोस्ट लिखा है, 'गोरे लोग ही सिर्फ हैंडसम नहीं होते।' साथ ही उन्होंने इस मानसिकता को बदलने पर जोर डाला है।

मुकुंद ने अपने अनुभव को साझा करते हुए लिखा है, 'मैं 10 साल की उम्र से क्रिकेट खेल रहा हूं और धीरे-धीरे मैंने सफलता की ऊंचाइयां हासिल कीं। देश के लिए बड़े लेवल पर खेलना मेरे लिए गर्व की बात है। मैं आज किसी की सहानुभूति और ध्यान खींचने के लिए नहीं लिख रहा हूं, बल्कि इस उम्मीद से कि इस मुद्दे पर लोगों की सोच बदल पाऊं, जिसके बारे में मैं सबसे ज्यादा सोचता हूं।'

मुकुंद ने आगे लिखा, 'मैं 15 साल की उम्र से देश के बाहर और देश में घूमता रहा हूं। मेरे स्किन के रंग को लेकर लोगों की सनक मेरे लिए हमेशा एक पहेली रही है। जो क्रिकेट खेलता है, वही इसे समझेगा। मैंने क्रिकेट खेलने के लिए धूप में खूब पसीना बहाया है लेकिन मुझे इस बात का कभी मलाल नहीं रहा कि मैं काला पड़ रहा हूं। वह इसलिए क्योंकि जो मैं करता हूं वो मुझे पसंद है और उसे पाने के लिए मैंने घंटों बाहर बिताए। मैं चेन्नई से आता हूं, जो शायद हमारे देश की सबसे गर्म जगह है और मैंने खुशी-खुशी अपनी उम्र का ज्यादातर हिस्सा क्रिकेट मैदान पर गुजारा है।

लोग अक्सर गालियां देने लगते हैं-
'मुझे लोगों ने कई नामों से पुकारा, लेकिन मैं इन बातों पर हंसा और आगे बढ़ गया, क्योंकि मेरा लक्ष्य बड़ा था। मैं अबतक विचारों से काफी सख्त हो गया था। कई बार ऐसा हुआ, जब मैंने इन बेइज्जती पर कुछ न बोलने की ठान ली लेकिन आज मैं सिर्फ अपने लिए नहीं बोल रहा हूं, बल्कि अन्य कई लोगों के लिए बोल रहा हूं। सोशल मीडिया के आने से, यह बात बहुत बढ़ गई है। लोग अक्सर गालियां देने लगते हैं, यह कुछ ऐसा है जिसमें मेरा कोई नियंत्रण नहीं है, गोरे लोग ही सिर्फ हैंडसम नहीं होते। सच्चे बनो, ध्यान रखो, और अपने रंग रूप को लेकर सहज रहो।
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