चीन पर भरोसा ना किया होता तो 62 भी जीतते

डोकलाम विवाद पर भारत-चीन की सेना एक दूसरे के सामने खड़ी हैं। दोनों ही पीछे हटने का नाम ही नहीं ले रही है। चीन का सरकारी अखबार लगातार जहर उगल रहा है। वो भारत को भड़काने वाले लेख छाप रहा है। चीन की सेना का बखान करते हुए भारत की सेना को कमजोर साबित करने की कोशिश कर रहा है परंतु उसे याद होना चाहिए कि 62 और 2017 में फर्क है। यदि हमने चीन पर भरोसा ना किया होता तो 62 भी जीतते और अब यदि चीन ने एक भी गलती की तो उसकी 62 वाली गलतफहमी हमेशा के लिए दूर हो जाएगी। वो बार बार सैनिकों संख्या पर फोकस कर रहा है परंतु ग्लोबल टाइम्स के संपादक को शायद यह पता ही नहीं कि भारत वो देश है जहां 40 मराठा सैनिक 4000 मुगलों की हथियारबंद फौज को तबाह कर देते हैं। यहां तो सिर्फ 3/1 का अनुपात है। 

भारत चीन संबंधों की समीक्षा करने वाले एक विशेषज्ञ का कहना है कि चीन युद्ध छेड़कर कोई रिस्क नहीं लेना चाहता है और न ही वो किसी छोटे सैन्य ऑपरेशन की तैयारी में है। भारतीय सुरक्षा प्रतिष्ठानों के मुताबिक, दोनों ही देश डोकलाम से प्रतिष्ठा बचाने के लिए अपनी-अपनी सेना हटा लें तो ही बेहतर होगा। सूत्रों का ये भी कहना है कि भारत चीन के युद्ध के हर सवाल का जवाब देने को तैयार है इसके लिए भारतीय सेना अपनी पूरी फॉर्म में है। बता दें कि डोकलाम विवाद को करीब दो महीने होने वाले हैं। इस बीच दोनों देशों में युद्ध की बजाय कई बार जुबानी जंग भी हुई।

वहीं, इस विवाद पर भारत का साफ कहना है कि डोकलाम विवाद का हल जंग नहीं है। यहां तक कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज भी संसद में कह चुकी हैं कि द्विपक्षीय वार्ता, धैर्य और भाषा का संयम ही इस विवाद का निपटारा कर सकता है। इन दो महीनों के बीच भारत ने चीन की सड़क निर्माण बनाने की योजना पर पानी फेर दिया है जिसके चलते दोनों पड़ोसी देश में तनाव और ज्यादा गहरात चला गया।

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