
जनसंपर्क मंत्री ने कहा कि, आदेश के बाद से पूरा मामला भ्रम में बदल गया है। जिन लोगों ने आदेश और आदेश के बाद संविधान नहीं पढ़ा है। वे यदि इसे पढ़ लेंगे तो भ्रम दूर हो जाएगा। नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि चुनाव शून्य घोषित करने का अधिकार निर्वाचन आयोग को नहीं है। उन्होंने अयोग्य घोषित किया है यानी अगला चुनाव जब आएगा वो लड़ ना पाए अब जबकि 2013 में हमने नया जनादेश ले लिया है। यह न्यायपालिका का विषय हो गया है।
धाराएं पढ़ लेंगे तो भ्रम दूर हो जाएगा
जनसंपर्क मंत्री ने कहा कि, जिन धाराओं के तहत चुनाव आयोग ने विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखा है उसमें अध्यक्ष का अधिकार बनता ही नहीं है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में शून्यता का कोई मामला बनता ही नहीं है। इसलिए भ्रम नहीं रहना चाहिए। उन्होंने इस बीच धाराएं भी बतलाई और कहा कि इनको पढ़ लेंगे तो भ्रम दूर हो जाएगा कि चुनाव आयोग ने उनका चुनाव शून्य घोषित नहीं किया है। उनका चुनाव अयोग्य किया गया है।
भ्रम क्यों है
पेडन्यूज की शिकायत 2008 के चुनाव में की गई थी। सुनवाई लंबी चली, मामला टलता रहा। इस बीच 2013 के चुनाव हो गए। अब निर्वाचन आयोग ने नरोत्तम मिश्रा को करप्ट प्रैक्टिस का दोषी करार देते हुए 3 साल तक चुनाव के लिए अयोग्य घोषित कर दिया है। भ्रम यह है कि शिकायत 2008 के चुनाव संदर्भ में हुई है तो क्या आदेश 2008 के बाद से ही लागू होगा। यदि हां तो 2013 में मिश्राजी की विधानसभा सदस्यता समाप्त, दतिया वापसी और यदि नहीं तो 2018 तक भोपाल में रुक सकते हैं। मिश्राजी के पास जो कानून की किताबें मौजूद हैं उनमें कहीं यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा है कि उनकी अयोग्यता कब से प्रभावी होगी।
संबंधित खबरें