FACEBOOK की JOB से घर का किराया तक नहीं निकलता: सड़क पर CAR में सोती है महिला कर्मचारी

लोग अक्सर कहते हैं कि विदेशों में और बड़ी कंपनियों में नौकरियां लग जाने से लाइफ सेट हो जाती है परंतु हकीकत कुछ और है। लोग बड़ी कंपनियों में मिलने वाले वेतन की तुलना अपने शहर के खर्चों से करते हैं। जबकि हालात यह है कि फेसबुक में काम करने वाली एक महिला कर्मचारी को इतना वेतन भी नहीं मिलता कि वो सिलिकॉन वैली में किराए का घर ले सके। 2 बच्चों की मां सड़क पर अपनी कार में ही रात गुजार लेती है और यह सिलसिला लगातार जारी है। 

रिपोर्ट के अनुसार, 'पिंकी' पार्शा ने कहा है, 'मैं हमेशा लोगों से कहती हूं कि किसी ने जो कुछ पाया और बाहर की दुनिया में आप जो देखते हैं, उसे देखना बंद करो। सिलिकॉन वैली बिजनेस जर्नल के अनुसार, उत्तरी कैलिफोर्निया के पास में एक-बेडरूम के घर का औसत किराया 2,300 डॉलर प्रति माह है। दो बच्चों की मां पार्शा इसे वहन नहीं कर सकती।

इसलिए, वह अपनी कार में रहती है और उसने अपनी इस परिस्थिति के बारे में अभी तक अपने सहकर्मियो को नहीं बताया है। उसे डर है कि यदि उसने इस बारे में किसी को बताया तो उसके वर्कप्लेस पर उसे नीचा देखना पड़ सकता है। पार्शा ने कहा, 'उन्हें यह जानकर अचम्भा होगा कि मैं इस तरह गुजर-बसर कर रही हूं, क्योंकि वे मुझे वर्कप्लेस पर मुस्कराता हुआ देखना चाहेंगे और वे चाहेंगे कि मैं खुश दिखूं, सामान्य दिखूं और साफ-सुथरी दिखूं।

लेकिन, अब उसका इरादा अपनी स्थिति लोगों के सामने लाने का है। इस उद्देश्य से कि सिलिकॉन वैली के आसपास के इलाके में अधिक किराए पर बहस शुरू हो। उसने कहा, 'मुझे लगता है कि कंपनियों को इस मुद्दे पर विचार करना चाहिए कि जो वेतन वे कर्मचारियों को दे रहीं हैं, क्या वह कर्मचारियों को गुजारे के लिए पर्याप्त है?'

फेसबुक के अनुसार, कंपनी इस बात को समझती है और मानती है कि समाज के गरीब लोगों पर जीवन यापन की उच्च लागत का बोझा है। फेसबुक के प्रवक्ता ने कहा है, 'मेनलो पार्क मुख्यालय के पास रहने वाले समुदायों की सहायता कर फेसबुक सक्रिय और जिम्मेदार पड़ोसी की अपनी भूमिका के प्रति बचनबद्ध है। 

रिपोर्ट के अनुसार, फेसबुक ने सामुदायिक समूहों, परोपकार और कंपनियों को, अगले कुछ महीनों और वर्षों के दौरान क्षेत्रीय प्रभाव बढ़ाने के किए जाने वाले एक प्रयास में योगदान के लिए प्रारंभिक तौर पर दो करोड़ डॉलर का निवेश करने का वादा किया है। पार्शा के जीवन यापन की स्थिति के बारे में पूछे जाने पर फेसबुक ने कहा कि वह कंपनी की कर्मचारी नहीं हैं, बल्कि वह कंपनी से जुड़े एक ठेकेदार के लिए काम करती हैं।

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