विश्राम को गए श्रीहरि विष्णु, चातुर्मास शुरू, मांगलिक कार्य बंद

मंगलवार 4 जुलाई देवशयनी एकादशी से आगामी 4 मास के लिए भगवान श्रीहरि विष्णु विश्राम करेंगे। इस दौरान मांगलिक कार्य नहीं होंगे। चातुर्मास शुरू हो गया है। इस दौरान यज्ञ, हवन, भजन और व्रत संकल्प किए जाएंगे। इंदौर के पं. अरविंद पंड्या के अनुसार आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की ग्यारस को देवशयनी एकादशी कहा जाता है। कहीं-कहीं इस तिथि को ‘पद्मनाभा’ भी कहते हैं। 31 अक्टूबर को देवउठनी एकादशी के बाद मांगलिक कार्य होंगे।

2017 में विवाह के मात्र 7 मुहूर्त 
चार महीने के लिए विवाह आदि मांगलिक कार्यों का सिलसिला थम जाएगा। 31 अक्टूबर को देवउठनी ग्यारस के साथ वैसे तो विवाह शुरू हो जाते हैं। हालांकि इस साल गुरु का तारा अस्त होने से विवाह के मुहूर्त नवंबर में काफी कम हैं। 11 अक्टूबर से गुरु का तारा अस्त होगा जो 6 नवंबर तक रहेगा। इसके बाद विवाह का पहला मुहूर्त 23 नवंबर को है। नवंबर-दिसंबर में विवाह के सात ही शुद्ध मुहूर्त दिए हैं। हालांकि अलग-अलग पंचांगों में विवाह के मुहूर्त भी अलग-अलग दिए गए हैं। पं. आनंदशंकर व्यास के अनुसार इस बार देवउठनी ग्यारस के बाद विवाह की संख्या पिछले साल से आधे हैं। गुरु का तारा अस्त होने के कारण ऐसी स्थिति बन रही है।

मंदिरों में होगा पूजन, महाआरती होगी
देवशयनी एकादशी पर विष्णु मंदिरों में सुबह पूजन और महाआरती होगी। वैष्णव मंदिरों में पूजन का आयोजन होगा। वेंकटेश मंदिर छत्रीबाग में सुबह पूजन-अभिषेक के बाद शाम को तुलसी अर्चना होगी। साथ ही गोष्ठी प्रसाद का वितरण भी होगा। उधर, पुष्टिमार्गीय संप्रदाय के मंदिरों में भी पूजन अभिषेक और महाआरती होगी।

विवाह के अलग-अलग मुहूर्त
नवंबर : 23, 28, 29
दिसंबर : 3, 4,10, 11 
(पंडितों के अनुसार। अलग-अलग पंचांगों ने विवाह के अलग-अलग मुहूर्त दिए हैं।)

जनवरी में कोई मुहूर्त नहीं
पं. कल्याण दत्त शास्त्री के अनुसार, 14 दिसंबर से मलमास शुरू हो जाएगा जो 13 जनवरी तक रहेगा। दिसंबर में ही शुक्र का तारा अस्त हो जाएगा जो 3 फरवरी तक रहेगा। एेसे में जनवरी में विवाह के मुहूर्त पंचांगों में नहीं दिए गए हैं।
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