
नंदकुमार का बयान इंलॉजिकल क्यों है
जिस दिन चुनाव आयोग ने नरोत्तम मिश्रा को पेडन्यूज का दोषी पाते हुए बतौर सजा अगले 3 साल तक चुनाव लड़ने के अयोग्य घोषित किया था, उस दिन भी नंदकुमार सिंह ने बयान जारी किया था कि पार्टी नरोत्तम मिश्रा के साथ है। इसके बाद जब दिल्ली हाईकोर्ट ने मंत्री मिश्रा की अपील खारिज की तो फिर बयान जारी किया 'पार्टी नरोत्तम के साथ है।' सवाल यह है कि इस इंलॉजिकल बयान की जरूरत ही क्या है। क्या पार्टी के नरोत्तम के साथ हो जाने से हाईकोर्ट डर जाएगा या चुनाव आयोग अपना फैसला वापस ले लेगा। नंदूभैया को यह समझना चाहिए कि जब कोई कानूनी प्रक्रिया चल रही हो तो घड़ी घड़ी इस तरह टांग नहीं अड़ानी चाहिए।
क्या कोई डर है जो बार बार ऐलान किया जा रहा है
नंदकुमार सिंह के बार बार 'पार्टी नरोत्तम के साथ है।' वाला बयान एक संदेह पैदा करता है। क्या नंदकुमार सिंह या सीएम शिवराज सिंह चौहान को मंत्री मिश्रा की ओर से कोई खतरा है। कोई धमकी, जैसी की व्यापमं के समय एक मंत्री की तरफ से आई थी। फिर कई दिनों तक व्यापमं केस की जांच दूसरी दिशा में चलती रही। क्या कोई ऐसी फाइल आनलाइन हो गई है, जो नरोत्तम मिश्रा की सदस्यता समाप्त होते ही डाउनलोड हो जाएगी। कोई मैलवेयर, जो सारी गोपनीय जानकारी पब्लिक कर देगा। सब जानते हैं कि नंदकुमार सिंह के इस बयान से कानूनी प्रक्रिया पर कोई प्रभाव नहीं पड़ने वाला। बावजूद इस तरह के बयान तो वही देता है जो व्यक्ति विशेष को जताना चाहता हो कि 'मैं अपनी पूरी शक्तियों सहित तुम्हारे साथ हूं, फैसला जो भी आए, बस मुझसे नाराज मत होना।'