भोपाल। छठवें वेतनमान के गणना पत्रक को लेकर अध्यापक दो धड़ों में बंट गए हैं। कुछ गणना पत्रक को सही बता रहे हैं तो कुछ विसंगतिपूर्ण बता रहे हैं। सबसे ज्यादा तनाव वेतन कम होने को लेकर है। उधर, वित्त विशेषज्ञ इसे अध्यापकों की मांग के अनुरूप बता रहे हैं। वे कहते हैं कि जिन अध्यापकों ने वेतन का गलत निर्धारण करा लिया है, उनसे वसूली होगी। वे बताते हैं कि नए गणना पत्रक से पुराने अध्यापकों को फायदा होगा। अध्यापक गणना पत्रक का अपनी-अपनी तरह से विश्लेषण कर रहे हैं। जबकि विशेषज्ञ कहते हैं कि अध्यापकों का वेतन अब सरकारी कर्मचारियों जैसा हो गया है। उन्हें क्रमोन्न्ति और पदोन्न्ति का लाभ भी सरकारी कर्मचारियों के लिए जारी निर्देशों की तरह ही मिलेगा।
नए गणना पत्रक में सिर्फ इतना अंतर आया है कि वरिष्ठता का निर्धारण अब अध्यापक संवर्ग में संविलियन की तारीख से होगा। इससे उन अध्यापकों को सबसे ज्यादा आर्थिक फायदा होगा, जिनका संवर्ग के गठन के साथ वर्ष 2007 में ही संविलियन हो गया था।
राजधानी में 16 को बैठक
आजाद अध्यापक संघ के प्रांत अध्यक्ष भरत पटेल ने बताया कि पत्रक में कोई विसंगति नहीं है। सिर्फ समझने और समझाने में दिक्कत आ रही है। इसके लिए 16 जुलाई को राजधानी में बैठक बुलाई है। वहां ऐसे अध्यापकों से बात की जाएगी, जो विसंगति बता रहे हैं। पटेल ने कहा कि हम मुख्यमंत्री का सम्मान भी करेंगे।
उदाहरण पत्रक का इंतजार
मप्र शासकीय अध्यापक संघ के अध्यक्ष आरिफ अंजुम ने विसंगति से इनकार नहीं किया है। उनका कहना है कि सरकार ने स्पष्ट नहीं किया है कि पदोन्न्ति-क्रमोन्न्ति वेतनमान किस प्रकार से निर्धारित होगा। अंजुम ने कहा कि सरकार को पदोन्न्ति-क्रमोन्न्ति के उदाहरण पत्रक जल्द जारी कर देना चाहिए।