कालाधन: मप्र/छग की 17 कंपनियों के खिलाफ सबूत मिले

भोपाल। नोटबंदी के बाद मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में 17 सूटकेस कंपनियां (फर्जी दस्तावेजों पर चलने वाली) आयकर के शिकंजे में आई हैं। इनकी जांच की जा रही है। इसी तरह आयकर द्वारा नए बेनामी एक्ट के तहत कार्रवाई की जा रही है और इस साल के आखिर तक मप्र-छग में करीब 100 पुख्ता मामले बन जाएंगे, जिनमें प्रकरण दर्ज कर बेनामी संपत्तियों को अटैच कर लिया जाएगा।

यह जानकारी प्रधान मुख्य आयकर आयुक्त अनूप कुमार जायसवाल ने सोमवार को आयकर के 157वें स्थापना दिवस के मौके पर पत्रकारों से चर्चा में दी। उन्होंने बताया कि बेनामी संपत्ति एक्ट के तहत मप्र और छग में लगभग 50-50 मामलों पर काम चल रहा है। ऐसी संपत्ति की सूचना के लिए यह प्रयास किया जा रहा है कि मुखबिर को कुछ इनसेंटिव दिया जाए। बेनामी संपत्ति के मामलों में राजनीतिक चेहरे देखकर कार्रवाई नहीं की जा रही है।

दो साल में 11 लाख आयकरदाता बढ़े
जायसवाल ने बताया कि मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ में दो साल में करीब 11 लाख आयकरदाता बढ़े हैं। 2015 में जहां 16 लाख आयकरदाता थे, वे आज की स्थिति में 26 लाख 84 हजार हो गए हैं। इसी तरह आयकर का टारगेट भी पिछले साल 17 हजार 888 करोड़ था, जिसके विरुद्ध 19 हजार 140 करोड़ रुपए का आयकर वसूल हुआ है। इस साल टारगेट 22 हजार 173 करोड़ रुपए दिया गया है, जो पिछले साल की तुलना में 24 फीसदी ज्यादा है। जायसवाल ने कहा कि जीएसटी के लागू होने के बाद आयकरदाताओं की संख्या तो बढ़ेगी साथ ही आयकर वसूली भी बढ़ेगी।

पेनकार्ड आधार लिंक में परेशानी
उन्हें बताया गया कि पेनकार्डधारी को आधार से लिंक करने की अनिवार्यता से लोगों को समस्या आ रही है। इसके बिना आयकर रिटर्न जमा भी नहीं हो रहे हैं। जबकि 31 जुलाई अंतिम तारीख रखी गई है। इस पर प्रधान मुख्य आयकर आयुक्त ने कहा कि इस परेशानी को लेकर वे सीबीडीटी को पत्र लिखेंगे।

मप्र-छग के राजनांदगांव में था पहला आयकर दफ्तर
ब्रिटिशराज में 24 जुलाई 1860 को पहली बार आयकर लागू किया गया था। मप्र-छग जो पहले मध्य प्रांत का भाग था, में पहला आयकर दफ्तर 1939 में राजनांदगांव में खुला था।

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