PETROL की दरें और हम भारतीयों का अपराध

राकेश दुबे@प्रतिदिन। पडौसी देशों की तुलना में पेट्रोल-डीजल की कीमत भारत में ज्यादा है और अन्य राज्यों की तुलना में मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा और अब पेट्रोल और डीजल की कीमतें रोज तय की जाएंगी। सरकारी तेल कंपनियां इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन , भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि. और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि. ने निर्णय किया है कि 16 जून से वे अंतरराष्ट्रीय दरों के मुताबिक प्रतिदिन तेल का मूल्य निर्धारित करेंगी। पुडुचेरी, विशाखापट्टनम, उदयपुर, जमशेदपुर और चंडीगढ़ में इस व्यवस्था को सफलतापूर्वक लागू करने के बाद पूरे देश के लिए इसे अपनाए जाने की योजना है। कंपनियों का दावा है कि इससे रिटेल सेलिंग प्राइस में उतार-चढ़ाव कम होगा और पेट्रोल पंपों पर रिफाइनरी से पेट्रोल-डीजल पहुंचाने का काम भी आसान हो जाएगा। यह भी कहा जा रहा है कि इससे तेल की कीमत तय करने में राजनीतिक दखल कम होगा। उनके सारे तर्क स्वीकार पर उपभोक्ता का भी तो तर्क सुनिएं इस सवाल का जवाब दीजिये पडौसी देशों की तुलना में भारत में और अन्य राज्यों की तुलना में मध्यप्रदेश में यह महंगा क्यों है ?

इस नई व्यवस्था को लेकर डीलरों और उपभोक्ताओं में कई तरह की दुविधाएं हैं। डीलरों का प्रश्न है कि उन्हें रोज-रोज रेट का पता कैसे चलेगा। अभी १५ दिनों में दाम बदलने पर भी कई पेट्रोल पंप मालिकों को सही समय पर जानकारी नहीं मिल पाती। अब रोज-रोज दरें बदलने पर सूचना कैसे पहुंचेगी? हालांकि कंपनियों का कहना है कि पेट्रोल पंपों के ऑटोमेशन और वॉट्सऐप जैसे मोबाइल ऐप के जरिए डीलरों तक सूचना पहुंचाना आसान है। ऐसे माध्यमों की सीमाएं हैं। कभी मालिकों को नुकसान हो सकता है, या फिर वे इसका नाजायज फायदा भी उठा सकते हैं।

अभी कंपनियां भविष्य की कीमतों का अंदाजा लगाकर उसी हिसाब से तेल खरीदती हैं। अब यह संभव नहीं होगा। डीलर कम लाभ पर काम करेंगे और दरों में रोजाना बदलाव से उनकी आय घटने का अंदेशा है। दामों के उतार-चढ़ाव का असर आवश्यक वस्तुओं जैसे अनाज, अन्य खाद्य पदार्थों, फल और सब्जियों पर भी पड़ सकता है। कई विकसित देशों में कंपनियां तेल की कीमतें प्रतियोगिता के आधार पर तय करती हैं, जिसका लाभ उपभोक्ताओं को मिलता है। हमारे यहां सभी तेल कंपनियां मिलकर कीमत तय करती हैं, यानी वे कार्टेल बनाकर कीमतों को ऊंचा रख सकती हैं। लोग मान कर चल रहे थे कि जीएसटी से तेल की कीमत में कमी और एकरूपता आएगी, पर इस नई घोषणा से उनकी उम्मीदों को झटका लगा है। महंगा तेल देश में क्यों है और विशेष कर मध्यप्रदेश में क्यों? यह तो साफ़ करना जरूरी है।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।        
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
पूर्व में प्रकाशित लेख पढ़ने के लिए यहां क्लिक कीजिए
आप हमें ट्विटर और फ़ेसबुक पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं।

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !