GST का हौआ: पूरे बाजार ने मार दिए डिस्काउंट आॅफर

नई दिल्ली। मोदी सरकार की जीएसटी का हौआ काम करने लगा है। ऐसे दुकानदारों ने भी जीएसटी के नाम पर डिस्काउंट सेल शुरू कर दी है जिनके उत्पादों के नाम जीएसटी लागू होने के बाद कम होने वाले हैं। शहर के मॉल तक में एंड सीजन और स्टॉक क्लीयरेंस सेल शुरू कर दी गई है। विज्ञापनों में जीएसटी का हौआ दिखाकर ज्यादा से ज्यादा माल ठिकाने लगाने की योजना पर काम शुरू हो गया है। ऑनलाइन खरीदारी के लगभग सभी ई कॉमर्स साइट पर सेल ऑफर की धूम है। व्यापारी अफवाहों का फायदा उठा रहे हैं। 

परिधान, जूते, फैशन से जुड़ी चीजें, विभिन्न ब्रांडों के प्रीमियम चीजें, इलेक्ट्रॉनिक आइटम, मोबाइल जैसी चीजों पर अलग-अलग छूट है। कुल मिलाकर खरीदारों के लिए एक अनुकूल माहौल बन रहा है। छूट के अलावा विभिन्न बैंकों से किए गए भुगतान पर कैश बैक और आकर्षक उपहार के ऑफर भी हैं। ई कॉमर्स की एक कंपनी फैशन से जुड़ी ड्रेस और एक्सेसरीज पर 50 से 80 प्रतिशत तक छूट दे रही है। दूसरी कंपनी 60 से 80 फीसद तक छूट की घोषणा कर रही है।

ऑनलाइन शॉपिंग करने वाले उपभोक्ताओं के मुताबिक इलेक्ट्रॉनिक चीजों में जिस तरह ऑफर के विज्ञापन काफी पहले निकलते थे, वे अब अचानक से वैसे ही उपलब्ध हो रहे हैं। इस प्रतियोगिता का असर शहर के मॉल और विभिन्न मार्केट में भी है। मॉल के रिटेल शॉप में एक खास खरीदारी पर कूपन, डिस्काउंट, विभिन्न बैंकों से कीमतें दिए जाने पर क्रेडिट जैसे सुनहरे मौके भी हैं।

जीएसटी के बाद 90 फीसद चीजों के दाम घट जाएंगे
अधिकारी बताते हैं कि बाजार में अफवाहों का लाभ भी व्यापारी ले रहे हैं। जीएसटी के प्रावधानों में व्यापारियों को रिटर्न भरने पर चुकाए गए अतिरिक्त भुगतान का क्रेडिट मिलेगा। संभव है जिनके पास ज्यादा स्टॉक हो, उसे खत्म करने के लिए ज्यादा डिस्काउंट देकर चीजें निकाल रहे हों। यह तय है कि 90 फीसद चीजों के दाम जीएसटी के बाद घटेंगे। कई स्तरों पर लगने वाला टैक्स एक स्तर पर लगेगा। मेगा सेल के कई फंडे होते हैं। इसमें स्टॉक क्लीयर करने, लेजर को सही करने के अलावा चीजों के दाम बढ़ा कर उसे घटाने के उपाय भी होते हैं।

केंद्रीय उत्पाद शुल्क विभाग के सेवानिवृत अधीक्षक और जीएसटी इजी साल्यूशंस कंपनी प्रमुख बिजेन्द्र ¨सह बताते हैं कि किसी भी ब्रांड की कीमत होती है। मान लीजिए कि किसी आई फोन की कीमत उपभोक्ता के लिए 60 हजार रुपये है लेकिन वास्तव में उसकी लागत 20 हजार है। डिस्ट्रीब्यूटर, डीलर, रिटेलर और उपभोक्ता तक आते-आते यह कीमत बढ़ती है। ऑनलाइन सामान बेचने वाली कंपनियों को इस तरह कई स्तरों से गुजरना नहीं पड़ता है। ऐसे में वे बड़ा डिस्काउंट देकर भी लाभ की स्थिति में होती है। जीएसटी लगने बाद 90 फीसद चीजें सस्ती होंगी। सर्विस टैक्स एक दो प्रतिशत बढ़ेगा।
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