आंदोलन तब जायज़ है, जब सरकार न सुने, मैं आपसे चर्चा के लिए बैठा हूँ, आइये, बात करें: CM

भोपाल। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आज यहाँ भेल दशहरा मैदान पर प्रदेश में शांति के लिए अनिश्चितकालीन उपवास शुरू किया। प्रदेश में आंदोलनरत किसानों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि उनकी हर सांस प्रदेश के विकास के लिए और किसानों के कल्याण के लिए समर्पित है। खेती-किसानी और किसानों का कल्याण, हमेशा प्रदेश सरकार की प्राथमिकता रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार संवाद का रास्ता अपनाने के लिये तैयार है लेकिन किसी भी कीमत पर राज्य को आग के हवाले नहीं होने देंगे। उन्होंने कहा कि कुछ निहित स्वार्थी तत्वों द्वारा यह दुष्प्रचार किया जा रहा है कि किसानों को सरकार एक धेला नहीं देगी। उन्होने इसका जोरदार खंडन करते हुए कहा कि किसानों के लिये वे जिन्दगी भी दे सकते हैं। मुख्यमंत्री के समर्थन में मंत्रिमंडल के सदस्य और किसान संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि हिंसा नहीं संवाद और शांति ही हर समस्या का हल है। उन्होंने कहा कि हिंसा से किसी का लाभ नहीं होगा। सरकार हमेशा बातचीत के लिये तैयार है। उन्होंने कहा कि किसानों के लिये जीवन भी दे सकते हैं लेकिन उन्हें परेशानी नहीं होने देंगे। लोगों की रक्षा और लोक संपत्तियों की सुरक्षा के लिये राजधर्म का पालन किया जायेगा। शांति भंग करने वालों के विरूद्ध सख्ती बरती जायेगी। उन्होंने कहा कि किसान नहीं, कुछ मुट्ठीभर लोग हिंसा फैला रहे हैं, उनसे सख्ती से निपटा जायेगा। उन्होंने कहा कि एक बार राज्य अराजक हो जाये तो मुश्किल होगी। इंसानियत, मोहब्बत और शांति का संदेश देने के लिये उपवास रखा है। अलोकतांत्रिक तरीके अपनाना गलत है।
श्री चौहान ने कहा कि वे चर्चा और संवाद के लिये हमेशा तैयार हैं। प्रदेश की शांति को किसी भी कीमत पर भंग नहीं होने देंगे। किसानों के बीच कुछ लोग हिंसा फैलाने वाली बातें कहते पाये गये, यह ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार प्रभावित किसान परिवारों के साथ है। उनकी वेदना और दर्द को समझते हैं। यदि शांति भंग होती है तो कुछ हासिल नहीं होगा। आंदोलनकारी किसानों से संवाद का रास्ता चुनने का आग्रह करते हुए कहा कि जब तक शांति स्थापित नहीं होगी उपवास चलता रहेगा।
श्री चौहान ने कहा कि प्रदेश की किसान हितैषी नीतियों के कारण कृषि उत्पादन बढ़ा है। सिंचाई 40 लाख हेक्टेयर में हो रही है। मालवा को रेगिस्तान बनने से रोक दिया गया है। कृषि ऋण 12 प्रतिशत ब्याज से घटाकर जीरो प्रतिशत कर दिया गया है। एक लाख के लोन पर 90 हजार वापस लौटाने की सुविधा दी गयी है। किसानों को भरपूर बिजली मिल रही है। जब भी किसानों पर विपदा आई, वे घर पर नहीं बैठे, किसानों के बीच गये। खेती की लागत कम करने, समय पर खाद बीज देने और फसल में विविधता लाने के अच्छे परिणाम मिले हैं। सोयाबीन की फसल ख़राब होने पर 4800 करोड़ की राहत दी।
बीमा के 4400 करोड़ रूपये दिए। किसानों की आय दोगुनी करने के सभी प्रयास किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार की नीतियों के कारण फसलों का बम्पर उत्पादन हुआ है। अन्न के भंडार भर गए हैं। ज्यादा उत्पादन होने से कीमतें कम हुई हैं लेकिन किसानों को लाभकारी मूल्य देने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। स्थिति को देखते हुए सरकार ने आठ रूपये किलो प्याज खरीदने, समर्थन मूल्य पर तुअर, उड़द  और ग्रीष्मकालीन मूंग खरीदने का निर्णय लिया है। किसानों को लाभकारी मूल्य दिलाने के लिए हर संभव उपाय किये जायेंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों की मर्जी के बिना उनकी जमीन नहीं ली जायेगी। इसके लिये अध्यादेश लाया जायेगा। डिफाल्टर किसानों के लिये एक योजना बनाई जायेगी ताकि वे दोबारा लोन लेने के लिये पात्र बन जायें और लोन का भरपूर उपयोग करें। आरटीजीएस के माध्यम से भुगतान करने के लिये निर्देश दे दिये गये हैं। कृषि उपज का लागत मूल्य निर्धारित करने और उन्हें लाभकारी मूल्य दिलाने के लिये कृषि लागत एवं विपणन आयोग बनाया जा रहा है। एक हजार करोड़ रूपये की लागत से मूल्य स्थिरीकरण कोष की स्थापना की जा रही है। इससे किसानों को ऐसे समय में भी घाटा नहीं होगा, जब अधिक उत्पादन से कीमतें गिर गई हों।

श्री चौहान ने कहा कि हिंसक आंदोलन से जिन लोगों की निजी संपत्तियों को नुकसान हुआ है, उन्हें भी राहत दी जायेगी। इसमें करीब 800 पुलिसकर्मी घायल हुए। दूध, सब्जियां नष्ट हुई। करीब 197 बसों को जलाया गया। दूध फेंकने के काम को सहन नहीं कर सकते। जनता की सुरक्षा, उनकी सम्पत्तियों की सुरक्षा के लिये राजधर्म का पालन किया जायेगा। मुख्यमंत्री ने विभिन्न जिलों से आये किसान संगठनों, संस्थाओं के प्रतिनिधियों से विभिन्न मुददों पर अलग-अलग चर्चा की।

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