शिवराज का उपवास: पहले दिन केवल घर के किसान ही मिलने आए

भोपाल। सीएम शिवराज सिंह के पहले दिन का उपवास कुछ खास सफलताएं लेकर नहीं आया। लक्झरी पंडाल में तमाम व्यवस्थाएं की गईं परंतु किसान मिलने नहीं आए। हां, सीएम शिवराज सिंह को भ्रम में बनाए रखने वाला गुट पूरी तरह से सक्रिय दिखाई दिया। पहले दिन केवल घर के किसान ही मिलने आए। भारतीय किसान मजदूर संघ आरएसएस से संबद्ध संगठन है जो आंदोलन में शामिल ही नहीं है। बस इसी संगठन के लोग मिलने आए और औपचारिकताएं पूरी कीं। मंच पर सीएम की अपील के बाद शिवराज सिंह के गुणगान का दौर चला। इसमें सबसे अव्वल नंदकुमार सिंह चौहान रहे। 

नंदकुमार सिंह चौहान ने कहा कि मैं किसान के नाते नर्मदा मैया की कसम खाकर कहता हूं कि आपने जो किसानों के लिए किया है वो कभी नहीं भूल सकते हैं। एमपी का जब भी इतिहास लिखा जाएगा तो शिवराज ने किसानों के लिए जो किया वो लिखना होगा। पूर्व सरकार में किसान बिजली पानी के लिए तरसता था, लेकिन अब नहीं। जल और ऊर्जा क्रांति एमपी में हुई है।

इससे पहले उन्होंने केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह से फोन पर बात की और कहा कि मैं उपवास पर बैठ रहा हूं। भाजपा के वरिष्ठ नेता कैलाश जोशी ने तिलक लगाकर उन्हें मंच पर बैठाया। सीएम ने उपवास से पहले ट्वीट कर कहा कि - 'मेरे किसान भाइयों, बापू के देश में हिंसा की आवश्‍यकता नहीं है। हम-आप शांतिपूर्ण ढंग से हर समस्‍या का समाधान ढूंढ़ लेंगे..'। मेरा यह उपवास किसानों की लड़ाई में उनके साथ खड़े होने का प्रतीक है। यह उपवास हिंसा के विरुद्ध है, हिंसा से कोई सृजन नहीं होता है।

यहां पांच सौ नहीं पांच-पांच किसानों से बात होगी, हर संगठन पांच लोग तय करें, सहकारिता मंत्री विश्वास सारंग को समन्वय की जिम्मेदारी सौपी गई है। पूर्व सीएम बाबूलाल गौर भी मंच पर पहुंचे और कहा कि कुछ लोगों ने आंदोलन को हिंसा में झोंक दिया है।

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