मप्र: छापामार हमले कर रहे हैं किसान, 13 बसों समेत 150 गाड़ियां फूंक चुके हैं

भोपाल। ​पुलिस की हर लाठी का जवाब दे रहे उग्र किसान मप्र के अलग अलग स्थानों पर अब तक 13बसों समेत 150 गाड़ियां फूंक चुके हैं। यह सिलसिला लगातार जारी है। हालात सरकारी तंत्र के नियंत्रण से बाहर चल रहे हैं। सड़कों पर पुलिस तैनात है परंतु किसान छापामार आंदोलन कर रहे हैं, वो कब कहां से आते हैं, पता ही नहीं चल पाता। सरकार ने इंटरनेट सेवाएं बंद कर दीं हैं फिर भी किसानों के बीच कम्यूनिकेशन जारी है। उनका माध्यम क्या है, अभी तक सरकार यह भी पता नहीं लगा पाई है। बता दें कि प्रदेश में 19 साल बाद किसान आंदोलन में ऐसी हिंसा हुई है। इससे पहले, 1998 में मुलताई में 18 लोगों की मौत हुई थी। 

आंदोलन महाराष्ट्र से शुरू हुआ था
कर्ज माफी और दूध के दाम बढ़ाने जैसे मुद्दे पर आंदोलन महाराष्ट्र में 1 जून से शुरू हुआ था। वहां अब तक 7 लोगों की मौत हो चुकी है। मध्य प्रदेश के किसानों ने भी कर्ज माफी, मिनिमम सपोर्ट प्राइस, जमीन के बदले मिलने वाले मुआवजे और दूध के रेट को लेकर आंदोलन शुरू किया। शनिवार को इंदौर में यह आंदोलन हिंसक हो गया। अब मंदसौर और राज्य के बाकी हिस्सों में भी तनाव है।

बच्चे बिलखते रहे, लेकिन उपद्रवी बस में तोड़फोड़ करते रहे
भोपाल से इंदाैर जा रही चार्टर्ड बस को उपद्रवियों ने सोनकच्छ में रोककर उसमें आग लगा दी। पैसेंजर्स ने भागकर जान बचाई। इससे पहले आंदोलनकारियों ने बस के शीशे तोड़ दिए गए। जब तोड़फोड़ की जा रही थी, तब बच्चे और महिलाएं बस के अंदर थीं। अंदर बच्चे बिलखते रहे, लेकिन उपद्रवी उसमें तोड़फोड़ करते रहे।

इंदौर-भोपाल हाईवे पर 30 गाड़ियां जलाईं
यही नहीं, इंदौर से भोपाल के बीच हाईवे पर करीब 30 गाड़ियां में आग लगा दी गई। कई टोल बूथ पर तोड़फाेड़ की गई। हिंसा के बाद कई ट्रेवल कंपनियों ने इंदौर-भोपाल के बीच बस सर्विस बंद कर दी। देवास के पास गाड़ियों में लगी आग बुझाने पहुंची फायर बिग्रेड की गाड़ी को भी उपद्रवियों ने आग के हवाले कर दिया।

नेवरी फाटा पर 3 वॉल्वो बसें जलाईं, देवास में 2 ट्रेनें रोकीं
देवास के पास नेवरी फाटा पर तीन वॉल्वो बसें जलाई गईं। थर-थर कांप रही महिलाओं और बच्चों ने हाथ जोड़े तब उपद्रवियों ने उतरने दिया आैर बसों में आग लगा दी। देवास में किसानों ने दो ट्रेनों को स्टेशन पर रोक लिया। करीब आधे घंटे तक समझाने के बाद इन्होंने ट्रेन को जाने दिया। इस प्रदर्शन का नीमच-रतलाम रेल ट्रैफिक पर असर पड़ा है। कुछ ट्रेन को इन स्टेशन पर ही रोक दिया है।

मध्य प्रदेश में 19 साल बाद इस तरह का आंदोलन
इससे पहले मध्य प्रदेश के बैतूल जिले के मुलताई में 1998 में किसानों ने इस तरह का आंदोलन किया था। 12 जनवरी 1998 को प्रदर्शन के दौरान 18 लोगों की मौत हुई थी। दरअसल, मुलताई में उस वक्त किसान संघर्ष मोर्चा के बैनर तले आंदोलन हुआ था। किसान बाढ़ से हुई फसलों की बर्बादी के लिए 5000 रुपए प्रति हेक्टेयर मुआवजे और कर्ज माफी की मांग कर रहे थे। उस वक्त राज्य में कांग्रेस सरकार थी।

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