नर्मदा में डूब सकते हैं मप्र के 1 शहर, 192 गांव और 40 हजार लोग

भोपाल। मध्यप्रदेश का 1 शहर, 192 गांव और इसमें रहने वाले 40 हजार लोग इस बारिश के मौसम में नर्मदा नदीं में डूब सकते हैं क्योंकि ये इलाके अब डूब क्षेत्र में आ गए हैं। गुजरात सरकार ने नर्मदा नदी पर बने सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई बढ़ा दी है। इसके चलते मप्र का लगभग 212 किलोमीटर का क्षेत्र डूब में आने वाला है। लोग भयभीत हैं कि उनकी संपत्ति का क्या होगा। वो गुस्साए हुए हैं। शिवराज सिंह सरकार ने इलाके में पुलिस तैनात कर दी है। नर्मदा बचाओ आंदोलन को डर है, यहां ग्रामीण और पुलिस के बीच कभी भी खूनी संघर्ष हो सकता है। 

नर्मदा नदी पर बने सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई बढ़ाते हुए गुजरात द्वारा फाटक लगाए जाने से मध्यप्रदेश के 192 गांव और धरमपुरी नगर के डूब में आना तय है, लगभग चालीस हजार परिवार प्रभावित होंगे, सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों पर अमल किए बिना प्रशासन और पुलिस बल परिवारों को जबरन विस्थापित कर रहा है, जिससे तनाव के हालात हैं।

राजधानी में गुरुवार को जुटे सामाजिक कार्यकर्ताओं ने संवाददाता सम्मेलन में राज्य की शिवराज सिंह चौहान सरकार पर किसानों पर दमनचक्र चलाने का आरोप लगाया। नर्मदा बचाओ आंदोलन की मेधा पाटकर ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने सरदार सरोवर की ऊंचाई बढ़ाने से पहले 31 जुलाई तक डूब क्षेत्र में आने वालों को मुआवजा और पुनर्वास करने के निर्देश दिए हैं। वहीं गुजरात सरकार ने बांध की ऊंचाई बढ़ाने के लिए दो फाटकों की जगह छोड़ते हुए बाकी हिस्से में फाटक लगा दिए हैं।

हजारों लोगों की डूब जाएगी रोजी-रोटी  
मेधा ने आगे कहा कि राज्य सरकार और प्रशासनिक अमला लगातार गलत आंकड़ा पेश कर रहा है। जो स्थान विस्थापित परिवारों को बसाने के लिए चुना गया है, वहां सुविधाएं ही नहीं हैं, तो अपने पक्के मकान छोड़कर लोग खुले आसमान के नीचे क्यों जाएंगे। उन्होंने आगे कहा कि गुजरात को लाभ पहुंचाने मध्य प्रदेश की सरकार नर्मदा घाटी की संस्कृति ही खत्म करने में जुट गई है। इस एक कदम से सैकड़ों मंदिर, धार्मिक स्थल के अलावा ऐतिहासिक स्थलों के साथ खेत-खलिहान और हजारों लोगों की रोजी-रोटी भी डूब जाएगी।

192 गांव होंगे प्रभावित
पूर्व विधायक और किसान नेता डॉ. सुनीलम ने बताया कि 192 गांव और एक नगर के जो 40 हजार परिवार विस्थापित होने वाले हैं, उन्हें सुविधाएं नहीं मिल रही हैं, लिहाजा कोई भी परिवार तय स्थान पर जाने को तैयार नहीं है। लोगों में आक्रोश है, धार और बड़वानी जिलों में भारी सुरक्षा बल की तैनाती कर दी गई है और लोगों को मकान खाली करने को कहा जा रहा है।

मर जाएंगे लेकिन घर नहीं छोड़ेंगे
उन्होंने बताया कि लोग कह रहे हैं कि मर जाएंगे मगर घर नहीं छोड़ेंगे। इससे आशंका है कि मंदसौर से बड़ी घटना कहीं नर्मदा घाटी में न घटित हो जाए। मंदसौर में सरकार और प्रशासन की नासमझी से पुलिस की गोली और पिटाई से छह जून को छह किसानों की जान गई थी। पूर्व विधायक और सामाजिक कार्यकर्ता पारस सखलेचा ने राज्य सरकार की नीतियों पर सवाल उठाया, उन्होंने कहा कि सरदार सरोवर का जल स्तर बढ़ाए जाने से नुकसान मध्य प्रदेश और फायदा गुजरात को होने वाला है। सरकार की कोशिशों का हर स्तर पर विरोध किया जाएगा।

गांव छोड़ने के लिए डाल रहें दबाव
किसान देवी सिंह ने बताया कि, नर्मदा नदी के किनारे बसे गांव के परिवारों का जीवन खुशहाल है, क्योंकि पैदावार अच्छी है, हजारों परिवारों का जीवन चल रहा है, मगर गुजरात सरकार द्वारा बांध की ऊंचाई बढ़ाने से लगभग 212 किलोमीटर का क्षेत्र डूब में आने वाला है। सरकारी अधिकारी व कर्मचारी सभी से एक शपथपत्र भरवा रहे हैं कि वे 15 जुलाई तक गांव छोड़ देंगे। इसके लिए दवाब भी डाला जा रहा है।

वहीं मछुआरा समुदाय से नाता रखने वाली श्याम बाई का कहना है कि बड़ी संख्या में ऐसे परिवार हैं, जो भूमिहीन हैं। उनकी सरकार सुन ही नहीं रही है। उनकी आजीविका नर्मदा नदी के जरिए ही चलती है। चाहे कुछ भी हो जाए, वे गांव और घर नहीं छोड़ेंगी, भले ही मर ही क्यों न जाएं। नर्मदा घाटी में बसे परिवारों को एक तरफ प्रशासन हर हाल में 15 जुलाई तक हटाने की तैयारी कर चुका है, साथ ही वह सर्वोच्च न्यायालय में विस्थापन की रिपोर्ट भी तैयार कर रहा है, इसके लिए वह कुछ भी करने को तैयार है। बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों को तैनात कर दिया गया है, वहीं दूसरी ओर गांव के लोग घर छोड़ने को तैयार नहीं है, लिहाजा तनाव बढ़ रहा है। 

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