
ऊर्जा मंत्री पारस जैन ने जबलपुर में पत्रकारों से बातचीत करते हुए माना कि पावर परचेस एग्रीमेंट के तहत बिजली कंपनियों को बिना बिजली लिए हर महीने 2200 करोड़ का भुगतान करना मजबूरी है। इसे कैंसल नहीं किया जा सकता। जब तक प्रदेश में नई इंडस्ट्री नहीं आएंगी, यह घाटा उठाना ही होगा। नई इंडस्ट्री कब तक आएंगी सरकार के पास इसकी कोई डेड लाइन नहीं है।
क्या कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए किया गया एग्रीमेंट
सवाल यह है कि जब मप्र का सरकारी खजाना खाली है। प्रदेश पर 1.75 लाख रुपए का कर्जा है। स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि यह कर्जा अभी और बढ़ने वाला है। सरकार आम नागरिकों पर पहले से ही बेहिसाब टैक्स थोप चुकी है। सरकार के पास आय का कोई मजबूत साधन नहीं है। ऐसे में क्या जरूरत थी कि इस तरह का एग्रीमेंट किया जाए। कहीं ऐसा तो नहीं कि कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए यह साजिश रची गई हो। संदेह यह भी किया जा सकता है कि इस एग्रीमेंट के बदले कोई मोटा फायदा मिला हो।