मुंबई। बांबे हाई कोर्ट ने पैसे वाले पिता की बेटी और MBBS छात्रा का आरक्षण रद्द कर दिया है। इतना ही नहीं उस पर 10 लाख रुपए का जुर्माना भी ठोका गया है। यदि वो जुर्माना नहीं भरती तो उसकी डिग्री रद्द कर दी जाएगी। छात्रा ने अपने पिता को गरीब बताकर आरक्षण का लाभ लिया था जबकि उसके पिता डॉक्टर हैं और 1 करोड़ रुपए मूल्य के अस्पताल के मालिक हैं। उनके अंडर में 25 कर्मचारी काम करते हैं। ओबीसी आरक्षण के तहत सरकारी बीजे मेडिकल कॉलेज में दाखिला लेने वाली इस छात्रा ने गलत जानकारी देकर नॉन-क्रीमी लेयर (NCL) सर्टिफिकेट बनवाया था जो प्रशासनिक जांच में पकड़ा गया।
बता दें कि ओबीसी आरक्षण का फायदा लेने के लिए अपनी आय से संबंधित एक प्रमाणपत्र (NCL) देना होता है। जस्टिस वीएम कानाडे और पीआर बोरा वाली हाईकोर्ट बेंच ने 5 मई को कहा,’लड़की के पिता आर्थिक रूप से काफी सक्षम हैं और पुणे के नजदीक चिंचवड में उनका 16 बिस्तरों वाला एक अपना अस्पताल भी है लेकिन अफसोस कि इतने सक्षम व्यक्ति ने इस तरह का काम किया।‘ बेंच ने आगे कहा, ‘लड़की के पिता की वजह से एक जरूरतमंद उम्मीदवार सरकारी मेडिकल कॉलेज में MBBS का कोर्स करने से वंचित रह गया।'
कोर्ट ने जांच समिति के रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा, 'लड़की के पिता की आर्थिक स्थिति काफी मजबूत है। उनके अस्पताल की कीमत ही 1 करोड़ रुपये है, उनके यहां 25 लोग काम करते हैं। अस्पताल में इलाज के लिए कई आधुनिक मशीनें और तकनीक मौजूद हैं।' एक निश्चित आय से कम आय वाले लोग ही ओबीसी आरक्षण का फायदा ले सकते हैं।
कोर्ट ने यह भी साफ किया कि स्टूडेंट अपनी पढ़ाई जारी रख सकती है, बशर्ते वह आगे की पढ़ाई और नौकरी में ओबीसी आरक्षण का फायदा नहीं लेगी। अगर वह ऐसा करती है तो उसकी MBBS की डिग्री रद कर दी जाएगी।