आरक्षण का लाभ तभी दिया जा सकता है, जब एक से अधिक पद हों: HC DECISION

जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), भोपाल में विभिन्न् विषयों का एक समूह बनाकर उस पर आरक्षण रोस्टर लागू किए जाने के रवैये को अवैधानिक करार दे दिया। न्यायमूर्ति सुजय पॉल की एकलपीठ ने अपने आदेश में साफ किया कि सिर्फ अलग-अलग विषयों में पर्याप्त पद होने पर ही आरक्षण वैध माना जा सकता है।

मामले की सुनवाई के दौरान डॉ.नीरज सहित अन्य की ओर से अधिवक्ता नरिन्दरपाल सिंह रूपराह ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि एम्स भारत सरकार का चिकित्सा क्षेत्र का अत्यंत महत्वपूर्ण उपक्रम है। यहां डॉक्टर्स की नियुक्ति के सिलसिले में आरक्षण रोस्टर का प्रावधान मनमाने तरीके से किया जाना चिंताजनक है। कायदे से आरक्षण का लाभ तभी दिया जा सकता है, जबकि एक से अधिक पद हों।

ऐसा इसलिए भी क्योंकि आरक्षण का एक निर्धारित रोस्टर होता है, जिसमें आरक्षण को लेकर स्पष्ट प्रावधान हैं। इसके बावजूद केन्द्र सरकार की ओर से दी गई इस व्यवस्था को दरकिनार कर, एम्स भोपाल में मनमानी चलाई जा रही है। आलम यह है कि एक पद को भी आरक्षित कर दिया गया। जब इसे लेकर डॉक्टर्स की ओर से अपनी आपत्तियां प्रस्तुत की गईं, तो एम्स प्रशासन ने जवाब दिया कि विभिन्न् विषयों को एक समूह में डालकर पदों की संख्या दर्शायी गई है, जिसके कारण एक पद भी आरक्षण की श्रेणी में आ गया।

याचिकाकर्ताओं की ओर से एम्स प्रशासन के रवैये का विरोध करते हुए कहा गया कि विभिन्न् विषयों को आरक्षण का रोस्टर लागू करने के लिए एक समूह में नहीं रखा जा सकता। ऐसा इसलिए क्योंकि पद इंटर-चेंजेबल नहीं हैं। जो व्यक्ति शल्य चिकित्सा का प्राध्यापक बनने की योग्यता रखता है, वह पैथालॉजी का प्राध्यापक नहीं बन सकता। सुप्रीम कोर्ट के न्यायदृष्टांत भी इस सिलसिले में मार्गदर्शी हैं।

ढ़ाई घंटे चली मैराथन बहस
हाईकोर्ट ने ढाई घंटे तक चली मैराथन बहस सुनने के बाद याचिकाकर्ता डॉक्टर्स के हक में फैसला सुनाया। इसी के साथ एम्स प्रशासन के मनमाने आरक्षण रोस्टर संबंधी रवैये को जोर का झटका लगा। ऐसा इसलिए भी क्योंकि मामला एक वर्ष से हाईकोर्ट में लंबित था, इसमें पूर्व में अंतरिम स्थगनोदश भी पारित हुआ था। इससे एम्स भोपाल में नई नियुक्तियां बाधित हो गई थीं। हालांकि इस ताजा फैसले के साथ ही एम्स भोपाल में नवीन नियुक्तियां का नियमानुसार रास्ता साफ हो गया है।

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