Motivational story in Hindi - परिणाम पहले से बेहतर मिलेगा और वास्तविक ख़ुशी

आज सुबह पार्क में दौड़ते समय मैंने एक व्यक्ति को देखा। वह मुझ से आधा किलोमीटर आगे था। अंदाज़ा लगाया कि मुझसे थोड़ा धीरे ही भाग रहा था।

एक अजीब सी खुशी मिली। मैं पकड़ लूंगा उसे, यकीन था।

मैं तेज़ और तेज़ दौड़ने लगा। आगे बढ़ते हर कदम के साथ, मैं उसके करीब पहुंच रहा था। कुछ ही पलों में, मैं उससे बस सौ क़दम पीछे था।

निर्णय ले लिया था कि मुझे उसे पीछे छोड़ना है। गति बढ़ाई। अंततः उसके पास पहुंच, उससे आगे निकल गया।

आंतरिक हर्ष की अनुभूति, कि मैंने उसे हरा दिया। बेशक उसे नहीं पता था कि हम दौड़ लगा रहे थे।

मैं जब उससे आगे निकल गया, तो एहसास हुआ कि दिलो-दिमाग प्रतिस्पर्धा पर इस कदर केंद्रित था कि घर का मोड़ भी छूट चुका था, मन का सकून खो गया। आस-पास की खूबसूरती और हरियाली नहीं देख पाया। ध्यान लगाने और अपनी आत्मा को भूल गया और व्यर्थ की जल्दबाज़ी में दो-तीन बार गिरा। शायद ज़ोर से गिरने पर, कोई हड्डी टूट जाती।

तब समझ में आया, यही तो होता है जीवन में, जब हम अपने साथियों को, पड़ोसियों को, दोस्तों को, परिवार के सदस्यों को अपना प्रतियोगी समझते हैं। उनसे बेहतर करना चाहते हैं।

प्रमाणित करना चाहते हैं कि हम उनसे अधिक सफल हैं या अधिक महत्वपूर्ण।

यह सोच बहुत महंगी पड़ती है, क्योंकि हम अपनी खुशी भूल जाते हैं। अपना समय और ऊर्जा उनके पीछे भागने में गंवा देते हैं। इस सब में अपना मार्ग और मंज़िल भूल जाते हैं।

भूल जाते हैं कि ‘नकारात्मक प्रतिस्पर्धाएं’ कभी ख़त्म नहीं होंगी। हमेशा कोई आगे होगा। किसी के पास बेहतर नौकरी होगी, बेहतर गाड़ी, बैंक में अधिक जमा राशि।

वास्तव में आगे बढ़ना है तो स्वयं को देखो और प्रतिस्पर्धा करनी है तो अपनी शक्ति के अनुसार केवल अपने से करो। तभी परिणाम पहले से बेहतर मिलेगा और वास्तविक ख़ुशी भी मिलेगी।
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