जवाहरबाग कांड: रामवृक्ष यादव जिंदा है ? | MEDICAL REPORT

लखनऊ। 2 जून 2016 को मथुरा में हुए जवाहरबाग कांड मामले में सोमवार को बड़ा खुलासा हुआ है। हैदराबाद एफएसएल (फोरेंसिक साइंस लैबाेरेटरी) की रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस ने जिस शव को मास्टरमाइंड रामवृक्ष यादव का बताया था, उसका डीएनए रामवृक्ष के बेटे से मैच नहीं हुआ है। अब सवाल यह है कि क्या रामवृक्ष यादव जिंदा है और यदि हां तो जो मारा गया वो कौन था। बता दें, बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय ने मामले में डीएनए टेस्ट की मांग की थी और बाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट में प‍िटीशन डाली थी। 

यूपी के गवर्नर राम नाइक के निर्देश पर गृह विभाग ने जवाहरबाग कांड में एक सदस्यीय जांच आयोग को निरस्त कर दिया था और इसकी जांच सीबीआई द्वारा कराए जाने पर फैसला हुआ था। इलाहाबाद हाईकोर्ट में दायर प‍िटीशन्स की सुनवाई करते हुए 2 मार्च को कोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश दिए थे।

क्या था पूरा मामला
जून 2016 में मथुरा के जवाहर बाग पार्क में अवैध रूप से डेरा डाले लोगों से पार्क को खाली कराने में 2 पुलिस अफसरों सहित 20 से ज्यादा लोग मारे गए थे। रामवृक्ष यादव इस मामले का मास्टरमाइंड था। उसकी अगुवाई में ही 15 मार्च 2014 से तकरीबन 200 लोग मथुरा में डेरा जमाए हुए थे।

प्रशासन से रामवृक्ष ने यहां रहने के लिए 2 दिन की इजाजत ली थी, लेकिन दो दिन बाद भी वो यहां से नहीं हटा था। इसके बाद 270 एकड़ क्षेत्र में फैले पार्क पर उसके सपोर्टर्स ने कब्जा जमा लिया था। धीरे-धीरे पार्क में आटा चक्की मिल, राशन की दुकानें, सब्जी मंडी और ब्यूटी पार्लर तक खुल गया। विजयपाल तोमर नाम का प‍िटीशनर इसके खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंचा तो कोर्ट ने पार्क काे खाली कराने का आदेश द‍िया। जब 2 जून 2016 को पुलिसफोर्स जवाहरबाग को खाली कराने पहुंची तो रामवृक्ष के नेतृत्व में अतिक्रमणकारियों ने पुल‍िसवालों पर हमला बोल दिया। इस हमले में एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी और एसओ संतोष कुमार यादव शहीद हुए थे। बताया गया क‍ि इस हिंसक झड़प में रामवृक्ष की मौत हुई है।

CBI से जांच कराने की उठी थी मांग
एसपी मुकुल द्विवेदी की पत्नी अर्चना और भाई प्रफुल्ल ने मामले में सीबीआई जांच की मांग की थी। इस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डीबी भोसले और जस्टिस यशवंत वर्मा की एक बेंच ने जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए आदेश पारित किया। हाईकोर्ट ने कहा, ''ये मसला बहुत गंभीर है। इसमें पुलिसकर्मियों को भी अपनी जान गंवानी पड़ी थी। मामले में तेजी और स्वतंत्र रूप से जांच हो, ताकि दोषियों को सजा मिल सके।

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