
यह सबकुछ उस समय सामने आया जब उत्तरप्रदेश के चुनावों में EVM घोटाले का आरोप लगाया गया और चुनाव आयोग ने पूरी दृष्टता के साथ ऐसी किसी भी संभावना से इंकार किया। मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। अब सवाल यह उठ रहा है कि यदि EVM में गड़बड़ी की गुंजाइश ही नहीं थी तो जो मप्र के अटेर में हुआ, वो क्या था।
टि्वटर पर #CanWeTrustEVMs नाम से ट्रेंड शुरू हो गया जो कि टॉप पर रहा। इसके जरिए सोशल मीडिया यूजर्स ने ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए। कई यूजर्स ने लिखा कि ईवीएम से केवल कमल की पर्ची निकलने से चुनाव से भरोसा उठ जाएगा। वहीं कई यूजर्स इस बहस को बेमानी बताते नजर आए।
उन्होंने लिखा कि हारने वाले लोग ही ईवीएम पर सवाल उठा रहे हैं। एक यूजर ने लिखा, ”ईवीएम यानि एवरी वोट टू मोदी।” एक अन्य ने पूछा, ”एक आसान सा सवाल है, जब एक ईवीएम केवल कमल को छापती है जबकि बटन अलग-अलग दबाए जाएं तो क्या हम ईवीएम पर भरोसा कर सकते हैं।” एक अन्य ने लिखा, ”भारत पर धोखेबाजों और गड़बड़ी करने वालों के राज करने का डर मंडरा रहा है।”
एक यूजर ने लिखा, ”जब सीबीआई आजाद नहीं है तो चुनाव आयोग और ईवीएम पर कैसे विश्वास किया जा सकता है?” एक अन्य ने लिखा, ”जब ईवीएम से छेड़छाड़ का कोई सबूत नहीं था तो, भक्त कहते थे कि केजरी झूठ बोल रहे हैं। जब ईवीएम से छेड़छाड़ का सबूत है तो भी भक्त कहते हैं, केजरी झूठे हैं।” एक यूजर ने अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधते हुए लिखा, ”सर, कृपया आप राष्ट्रपति का चुनाव लड़ लीजिए। केवल वहीं आपको पूरी आजादी होगी।” एक अन्य ने दूसरी पार्टियों के जीते गए चुनावों का जिक्र करते हुए लिखा, ”#CanWeTrustEVMs नाचना जानत नाहीं , बतावत आँगन टेढ़ा।”