
अलगाववादियों से बात नहीं करेगा केंद्र
सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन से कहा कि वह घाटी के हालात सुधारने के लिए सुझाव दें और वहां पर हिंसा को रुकवाएं. तो वहीं केंद्र सरकार ने कोर्ट को बताया कि इस मुद्दे पर सिर्फ मान्य पार्टियां से ही बात करेगी, ना कि अलगाववादियों के खिलाफ.
आपको बता दें कि इससे पहले की सुनवाई में केंद्र सरकार ने कोर्ट में कहा था कि वो उग्र प्रदर्शनकारियों से निपटने के लिए जल्द ही एक सीक्रेट वेपन का इस्तेमाल शुरू करने वाली है. इसे पैलेट गन के पहले इस्तेमाल में लाया जाएगा. केंद्र सरकार के मुताबिक बदबूदार पानी, लेज़र डेज़लर और तेज़ आवाज़ करने वाली मशीनों का भी प्रदर्शनकारियों पर कोई असर नहीं होता है. इसलिए मजबूरी में आखिरी विकल्प के तौर पर पैलेट गन का इस्तेमाल किया जाता है.
क्या थी केंद्र सरकार की दलील
सरकार की ओर से पेश हुए अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने दलील दी थी कि राज्य में उपद्रवियों पर काबू पाने के लिए पैलेट गन को अंतिम विकल्प के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है. जम्मू कश्मीर में होने वाला प्रदर्शन दिल्ली में जंतर-मंतर पे होने वाला शांतिपूर्ण धरना-प्रदर्शन नहीं है. प्रदर्शनकारी सुरक्षा बलों पर ग्रेनेड, पेट्रोल बम, मॉकटेल बम से हमला करते हैं, भीड़ में छुप कर पीछे से सुरक्षा बलों पर ग्रेनेड फेंकते हैं. सरकारी और निजी सम्पति को नुकसान पहुंचाया जाता है.
याचिकाकर्ता से कोर्ट के सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट बार एसोसिएशन से सुझाव मांगे थे. कोर्ट ने पूछा था कि पैलेट गन के अलावा क्या ऑप्शन हो सकता है? याचिकाकर्ता को ये भी बताना था कि आखिर हालात बेहतर बनाने के लिए क्या कुछ किया जा सकता है.
आपको बता दें कि घाटी में लगातार पत्थरबाजी की घटनाएं होती रहती हैं. पत्थरबाजी में कई दफा जवानों के घायल होने की भी खबर आती है. हालांकि सेना के द्वारा इस्तेमाल किये जाने वाली पैलेट गन पर भी कई बार सवाल खड़े किये जा चुके हैं.