शिवराज सिंह ने फिर दोहराया 'माई का लाल', सपाक्स नाराज

भोपाल। अटेर उपचुनाव में जीत हासिल करने के लिए मुख्यमंत्री पूरी ताकत झोक रहे हैं| मतदाताओं को लुभने के लिए एक बार फिर शब्दों की सोदेबाजी जारी है। बेरोजगारी से लेकर किसानों की आत्महत्या जैसे मुद्दों को छोड़ मुख्यमंत्री को एक बार फिर आरक्षण का एजेंडा याद आया है। सीएम द्वारा आरक्षण को लेकर फिर यह दोहराना कि कोई माई का लाल आरक्षण समाप्त नही कर सकता पर सपाक्स ने आपत्ति जताई है। 

सपाक्स का कहना है कि चुनाव प्रचार करने गये मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा एक बार फिर यह दोहराना कि कोई माई का लाल आरक्षण समाप्त नही कर सकता, क्या चुनावी आचार संहिता का उल्लंघंन नही है। यह वर्ग विशेष को वोटों के लिये प्रभावित करने का सीधा प्रयास तो है ही साथ ही आऱक्षण का मामला माननीय उच्चतम न्यायालय में लंबित होने के चलते सीधे सीधे सुप्रीम कोर्ट की अवमानना है। सपाक्स इस मुद्दे पर चुनाव आयोग में मुख्यमंत्री के खिलाफ आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायत करने के साथ साथ माननीय उच्चतम न्यायालय में भी यह मामला ले जायेगा। 

प्रदेश में बेरोज़गारी चरम पर है। सरकारी गलत नीतियों के कारण अन्य प्रदेशों के लोग प्रदेश के युवाओं के बदले नौकरियाँ पा रहे हैं। विशेषज्ञ और संसाधनों के अभाव में स्वास्थ्य सेवायें पाताल में हैं। कुपोषण जिस क्षेत्र में सबसे बड़ी समस्या है वहाँ इन सबसे ध्यान हटाने के लिये सरकार वर्ग विशेष की राजनीति कर रही है। जबकि अन्य प्रदेशों में भाजपा ने जातिगत आधारित राजनीति का विरोध किया है। 
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