
श्रीराम के जाने के पश्चात द्वापर युग मॆ महाभारत के समय हनुमानजी की गतिविधि सीमित थी। वे भगवान कृष्ण के कहने पर अर्जुन के रथ मॆ ध्वजा के साथ थे। कलयुग आते ही उन्होने वाल्मीकि के पुनर अवतार तुलसीदासजी को सामान्य जन की अवधी भाषा मॆ रामचरितमानस लिखने के लिये प्रेरित किया। यह काम करवाने के लिये उन्होने तुलसीदासजी को चित्रकूट मॆ भगवान श्रीराम तथा लक्ष्मण के दर्शन कराये। यह कलयुग मॆ राम नाम के प्रचार का पहला चरण था। इस तरह से इस कलयुग मॆ हनुमानजी जी पूरे जोर शोर से राम भक्ति की ध्वजा फहरा रहे है।
कलयुग मॆ हनुमत कृपा
कलयुग मॆ हनुमत कृपा परम शक्तिशाली है। हनुमान चालीसा मॆ लिखा है की तुम्हरे भजन राम को पावे जन्म जन्म के दुख बिसरावे। अर्थात कलयुग मॆ हनुमानजी की पूजा पाठ करने से या फ़िर उन्हे रामायण सुनाने से आपकी सभी समस्याओं का अंत होता है साथ ही भगवान की कृपा भी होती है।
शनि कष्ट से मुक्ति
कलयुग को शनियुग कहें तो कोई अतिशयोक्ति नही होगी इस युग मॆ जिस तरह माया पूर्ण बलवान होगी उसी तरह शनि ग्रह का प्रभाव बड़ेगा। मायावश होकर लोग इंद्रियों के वश मॆ होकर गलत कार्य करेंगे परिणामस्वरूप दंड भी भुगतेगें सजा भुगतते ही फ़िर माया के चक्कर मॆ उलेझेंगे इस तरह कलयुग मॆ प्राणी का मन पाप रूपी सरोवर मॆ मछली बनकर रहेगा। इस समय राम नाम ही उनका उद्धार करेगा।
शनि का वरदान
त्रेता युग मॆ रावण की कैद से शनिदेव को छुड़ाने पर शनिदेव से हनुमानजी को वरदान दिया था की जहाँ आपकी सेवा तथा राम नाम का स्मरण होगा वहा मै और मेरा दुष्प्रभाव नही रहेगा साथ ही राम भक्ति करने वालों पर मै कृपा करूंगा। इसिलिये जिन्हे किसी भी प्रकार की पीडा हो वे घर पर रामायण, रामचरित मानस का नित्य पाठ करें। उन्हे सभी प्रकार के कष्टों से राहत मिलेगी।
पंडित चंद्रशेखर नेमा"हिमांशु"
9893280184