शिवराज सरकार के खिलाफ फार्मासिस्ट: पहले डिग्री वापस करेंगे, फिर इच्छामृत्यु

ग्वालियर। लम्बे समय से 2800 ग्रेड पे की मांग कर रहे मध्य प्रदेश शासन के अंतर्गत कार्यरत फार्मासिस्टो का धैर्य सरकार की उपेक्षा से टूटता नजर आ रहा है और अब वे शासन से निर्णायक लड़ाई का मन बचा चुके है। क्योकि सूत्रों के मुताबिक सरकार का फार्मासिस्ट की वेतन विसंगति दूर करने का कोई विचार नहीं है। हाल ही में व्यापम के विज्ञापन में भी फार्मासिस्ट के 2800 ग्रेड पे को संशोधित करके वापस 1900 कर दिया जाना सरकार की मंशा पर प्रश्न चिन्ह लगाता है।

इस परिप्रेक्ष्य में फार्मासिस्ट वेलफयेर एसोसिएशन के तत्वाधान में रविवार को प्रेस वार्ता का आयोजन किया जिसमे संघटन ने सरकार के फार्मासिस्ट के प्रति भेद-भाव पूर्ण व्यवहार एवं संघटन की आगामी रणनीति की जानकारी दी संघटन के अध्यक्ष अभिषेक परमार ने जानकारी दी कि देश के समस्त 29 राज्यों में मध्य प्रदेश में फार्मासिस्ट का ग्रेड पे सबसे कम है जिसको शैक्षणिक योग्यता के तर्क संगत बनाने की मांग फार्मासिस्ट कई दशको से कर रहे है क्योकि मध्य प्रदेश में ही अन्य कमतर शैक्षणिक योग्यता वाले पदों को भी 2800 ग्रेड पे के हिसाब से वेतन दिया जा रहा है।

संघठन की रणनीति पर चर्चा करते हुए उन्होंने बताया की हम चरणबद्ध तरीके से सरकार का विरोध करेंगे और आने वाले दिनों ने विरोध का स्तर बढता जायेगा। सबसे पहले प्रमुख सचिव, स्वस्थ्य मंत्री, एवं मुख्य मंत्री को ज्ञापन सौप कर उन्हें फार्मासिस्ट की समस्या से अवगत कराया जायेगा। मांग न मानने पर फार्मासिस्ट अपने लिए निर्धारित ड्रेस कोड का उल्लंघन करते हुए बिना एप्रेन पहने कार्य करेंगे। एक निश्चित समयावधि के बाद समस्त फार्मासिस्ट लामबंद होकर शासन को अपनी डिग्री वापस कर देंगे। यदि वार्तालाप से सरकार कोई हल नहीं निकालती है तो हम हाई कोर्ट में अपील करेंगे एवं फार्मासिस्ट के लिए इच्छा मृत्यु की मांग करेंगे क्योकि कोर्ट पहले ही फार्मासिस्ट का ग्रेड पे बढाने का फैसला दे चुकी है। जिसे सरकार ने 10 साल बीत जाने पर भी लागु नहीं किया है अनशन, जल सत्याग्रह, सामूहिक अवकाश जैसे विकल्पों पर भी विचार किया जा रहा है।

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