सरकारी कॉलेजों में नई परीक्षा प्रणाली लागू, 54 प्राइवेट कॉलेज की मान्यता अटकी | EXAM-AFFILIATION

भोपाल। सरकारी कॉलेजों में सत्र 2017-18 से वार्षिक सैद्धांतिक प्रणाली लागू होने जा रही है। इसके तहत परीक्षा के पैटर्न में बदलाव किया गया है। वार्षिक सैद्धांतिक परीक्षा में छात्रों का मूल्यांकन साढ़े 42 अंकों से किया जाएगा। आंतरिक मूल्यांकन के भी अंक मिलेंगे। इसके लिए उन्हें तिमाही और छमाही परीक्षा में शामिल होना जरूरी होगा। यह पहली बार है जब मुख्य परीक्षा में पेपर साढ़े 42 अंकों का आएगा। अभी तक पेपर 50 अंकों का होता रहा है। नए सत्र से सेमेस्टर सिस्टम बंद कर फिर से वार्षिक प्रणाली लागू करने के लिए केंद्रीय अध्ययन मंडल को सिलेबस तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। 

15 नंबर होंगे आंतरिक मूल्यांकन के 
परीक्षा में पहले की तरह ही एक विषय के दो प्रश्न पत्र आएंगे। सैद्धांतिक परीक्षा 100 और प्रायोगिक परीक्षा 50 अंकोंं की होगी। नियमित छात्रों के लिए मुख्य परीक्षा में एक पेपर 42.50 अंकों का और प्राइवेट छात्रों के लिए 50 अंकों का होगा। नियमित छात्रों के लिए हर विषय मेें 15 अंक आंतरिक मूल्यांकन के होंगे। सैद्धांतिक पेपर में लघु व दीर्घ उत्तरीय और वस्तुनिष्ठ प्रश्न पूछे जाएंगे। जबकि प्राइवेट छात्रों के लिए प्रति पेपर 50 अंकों का होगा। प्रायोगिक परीक्षा के अंक नियमित और प्राइवेट छात्रों के लिए 50 ही रहेंगे। 

54 प्राइवेट कॉलेजों की मान्यता अटकी 
बरकतउल्ला विश्वविद्यालय से संबद्ध शहर के 11 प्राइवेट कॉलेजों के दूसरे व तीसरे वर्ष के कोर्स की मान्यता फिर से अटक गई है। उच्च शिक्षा विभाग ने इन कॉलेजों में चल रहे 18 पाठ्यक्रमों को निरंतरता की अनुमति और 10 नए कोर्स शुरू करने की मंजूरी देने से साफ इंकार कर दिया है। साथ ही हिदायत दी है कि तीन महीने में इन कमियों को दूर नहीं करते हैं तो उनके खिलाफ वैधानिक कार्रवाई की जाएगी। 

सत्र 2017-18 के लिए बीयू सहित प्रदेश के अन्य विश्वविद्यालयों से संबद्ध करीब 239 कॉलेजों ने पुराने कोर्स की निरंतरता और नए कोर्स की अनुमति के लिए आवेदन किया था। पहले रिव्यू में इनमें से 131 में कमियां मिली थीं। बीयू से ही संबद्ध 54 काॅलेजों की समीक्षा में 40 कॉलेजों में कमियां पाई गई थी। विभाग ने इन कॉलेजों को कमियां दूर करने के लिए कहा था। लेकिन इनमें से 15 कॉलेज कमियां दूर करने में नाकाम रहे हैं। 

इनमें 11 कॉलेज अकेले भोपाल के ही हैं। अब दिए जा रहे आखिरी अवसर में भी यदि कमियां दूर नहीं हुईं तो इन पाठ्यक्रमों के छात्रों को अन्य कॉलेजों में शिफ्ट किया जाएगा। इससे फैसले से करीब दो हजार से ज्यादा छात्र प्रभावित होंगे। यह संख्या केवल भोपाल के ही कॉलेजों के छात्रों की है। प्रदेश स्तर पर यह आंकड़ा पांच से छह हजार के बीच पहुंचने की संभावना है। 

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