RSS के बर्खास्त पदाधिकारी ने कहा: मैं देशभक्त, कर्तव्य निभाया

उज्जैन। केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के खिलाफ विवादित बयान देकर मुश्किल में फंसे आरएसएस नेता कुंदन चंद्रावत को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपना मानने से ही इंकार कर दिया है। उनसे उनके सारे पद छीन लिए गए हैं। संघ के बर्खास्तगी के फैसले पर कुंदन चंद्रावत ने कहा कि मुझे संगठन का फैसला मंजूर है। साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि मैंने अपना कर्तव्य देशभक्त की तरह निभाया। 

चंद्रावत ने केरल के मुख्यमंत्री को लेकर गुरुवार को उज्जैन में एक कार्यक्रम के दौरान विवादित बयान दिया था। चंद्रावत ने कहा था कि जो भी केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन का सिर काटकर लाएगा उसे एक करोड़ रुपए का इनाम दिया जाएगा। हालांकि जल्दी ही उनके इस बयान पर विवाद सामने आ गया। संघ ने उनके बयान को निजी राय बताते हुए संगठन को इससे अलग कर लिया। 

आरएसएस की ओर से जारी किए गए बयान में कहा गया कि संगठन ऐसे हिंसात्मक कार्रवाई का समर्थन नहीं करता है। आरएसएस की ओर से ये भी साफ किया गया कि ये विचार सिर्फ एक व्यक्ति के हैं, इसे संगठन का लक्ष्य नहीं मानना चाहिए। इसके बाद संघ ने शुक्रवार को कार्रवाई करते हुए चंद्रावत को उनके दायित्वों से मुक्त कर दिया है। इस पूरे विवाद पर चंद्रावत ने कहा है कि उन्हें संघ का फैसला मंजूर है। उन्होंने कहा कि मैंने केरल के मुख्यमंत्री को लेकर जो बयान दिया वो केरल के हालात को ध्यान में रखते हुए दिया। चंद्रावत ने कहा कि जब मैं ये बयान दे रहा था मेरे दिमाग में की स्थिति थी जहां संघ के कई कार्यकर्ताओं की हत्याएं सामने आ चुकी हैं। ये सभी हत्याएं साजिश का हिस्सा हैं। 

केरल के मुख्यमंत्री और उनके कार्यकर्ता इस साजिश में शामिल हैं। चंद्रावत ने आरोप लगाया कि केरल में आम आदमी भी मारे जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि मैंने केरल के लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए ये बयान दिया था। उन्होंने कहा कि मैंने इस बयान के जरिए देशभक्त का कर्तव्य निभाया है। उन्होंने आगे कहा कि मुझे संघ का फैसला मंजूर है। मैं आरएसएस का वालंटियर था और मैं आगे भी इसमें शामिल रहूंगा।

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