माँ, मानो न मानो ! कानूनन जिन्दा है, गंगा-यमुना

राकेश दुबे@प्रतिदिन। देश की दो सबसे पवित्र नदियों गंगा और यमुना को इंसान का दर्जा देने की बात उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने कही है। अब तक अदालत के जरिए इंसानी दर्जा हासिल करने वाली दुनिया में तीन ही नदियां हैं। गंगा और यमुना से ठीक पांच दिन पहले न्यूजीलैंड की वानकुई को यह दर्जा मिला था। कानून के जानकार इसे एक बड़ा कदम कह रहे हैं और उनमें से कुछ को उम्मीद भी है कि इससे इन नदियों को साफ रखने में मदद मिलेगी। मगर, दूसरे देशों का सच चाहे जो भी हो, अपने देश में समस्या नदियों को निर्जीव वस्तु मानने की नहीं है। यहां तो गंगा और यमुना को ही नहीं, देश की सारी नदियों को देवी और माता के रूप में मानने का चलन है।

कुंभ के मौके पर गंगा-यमुना के संगम में एक डुबकी लगाने के लिए लाखों लोग अपनी जान तक जोखिम में डालने को तैयार रहते हैं। समस्या यह है कि ऐसी मान्यताओं से लोगों का दैनंदिन व्यवहार निर्धारित नहीं होता। गंगा को शिव की जटा से निकली हुई मानकर भी हमें अपने शहर का अनट्रीटेड कचरा उसमें लगातार प्रवाहित करते रहने में कोई संकोच नहीं होता। करीब एक हजार औद्योगिक इकाइयां आज भी अपना खतरनाक कचरा बेधड़क इन दोनों नदियों में डाल रही हैं।

सवाल है कि जब देवी का दर्जा भी इन नदियों को प्रदूषित करने से हमें नहीं रोक पा रहा है तो इंसान का दर्जा भला कैसे रोक देगा! यानी अदालत के इस आदेश मात्र से गंगा और यमुना के प्रति आम लोगों का व्यवहार अचानक बदल जाएगा, यह उम्मीद नहीं की जा सकती। मगर, इस तरह का कानूनी दर्जा सरकार और सरकारी एजेंसियों की ताकत और उनकी जिम्मेदारी जरूर बढ़ाता है। दिक्कत यह है कि सरकार के स्तर पर भी अब तक की तमाम कवायदें कागजी कार्रवाई तक ही सीमित रही हैं। यह फैसला संबंधित सरकारी एजेंसियों की जिम्मेदारी सुनिश्चित कर उन्हें सचमुच सक्रिय कर पाए, तभी इसकी सार्थकता है। चूंकि अब ये नदियां कानूनी तौर पर इंसान के समान हैं, इसलिए इनके अधिकारों के अतिक्रमण की स्थिति में इनका कोई प्रतिनिधि कोर्ट की शरण ले सकता है। देखना है, इससे गंगा-यमुना की वास्तविक स्थिति में कितना फर्क पड़ता है।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।        
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
पूर्व में प्रकाशित लेख पढ़ने के लिए यहां क्लिक कीजिए
आप हमें ट्विटर और फ़ेसबुक पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं।

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !