
दोनों की उम्मीदवारी का औपचारिक ऐलान 15 मार्च की शाम को प्रदेश चुनाव समिति की बैठक के बाद कर दिया जाएगा। बैठक में सीएम शिवराज सिंह के अलावा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और प्रदेश संगठन प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे भी मौजूद रहेंगे।
गौरतलब है कि ज्ञान सिंह शहडोल संसदीय सीट से उपुचनाव इसी शर्त पर लड़ने को तैयार हुए थे कि उनकी जीत के बाद बांधवगढ़ सीट से उनके बेटे शिवनारायण को उम्मीदवार बनाया जाएगा। ज्ञान सिंह लोकसभा सीट जीतने की स्थिति में नहीं थे फिर भी शिवराज सिंह ने उसकी शर्तों को स्वीकार किया। पहले ज्ञान सिंह को लोकसभा सीट दिलवाई। विधायक ना होने के बावजूद मंत्री बनाए रखा और अब मजबूरी का टिकट उनके बेटे को दिया जाएगा।
इधर भिंड की अटेर विधानसभा सीट पर नेता प्रतिपक्ष सत्यदेव कटारे के निधन के बाद से ही अरविंद भदौरिया के लिए तैयारियां शुरू कर दीं गईं थीं। यह सीट भी शिवराज सिंह चौहान थाली में परोसकर भदौरिया को सौंपेंगे। इसी के चलते शिवराज सिंह ने मुन्ना सिंह भदौरिया को लालबत्ती दी है। चुनाव से पहले मंत्रियों के अटेर दौरे शुरू करवा दिए गए थे। मंत्रियों ने खुली अपील भी की। जातिवाद के गणित को ध्यान में रखते हुए भदौरिया के लिए काम किया जा रहा है। बता दें कि अरविंद भदौरिया को ब्राह्मण विरोधी नेता माना जाता है और अटेर में बिना ब्राह्मण वोट के चुनाव जीतना संभव ही नहीं है।