
तीन पिलर भरने के बाद जैसे ही मजदूरों ने चौथे पिलर में कांक्रीट डाला, पूरी छत भरभराकर नीचे गिर गई। मजदूरों की चीख-पुकार सुनकर आसपास के लोग मदद के लिए दौड़े। उन्होंने घायलों को मलबे के ढेर से निकालना शुरू कर दिया। लोगों ने खुद के वाहन से घायलों को अस्पताल भेजा।
एक घंटे बाद पहुंची पुलिस
सूचना मिलने के बाद भी बिलखिरिया पुलिस को पहुंचने में घंटेभर का समय लग गया। तब तक लोग निजी वाहनों और एंबुलेंस 108 की मदद से घायलों को अस्पताल पहुंचा चुके थे। हादसे में मरनेवाले की पहचान लखीसराय, बिहार निवासी भतलू पिता नेगूसर के रूप में हुई। हादसे में 16 अन्य घायलों को पटेल नगर स्थित नगपुर अस्पताल में इलाज चल रहा था। एनडीआरएफ और एसडीआरफ की टीम मौके पर पहुंच गई हैं।
कंपनी ने दोनों छतों के पकने से पहले ही तीसरी छत के लिए पिलर डालने शुरू कर दिए। चूंकि छत कमजोर थी इसलिए सेंट्रिंग भी नहीं निकाली थी। जैसे ही पिलर में सीमेंट-कांक्रीट को सेट करने के लिए वाइब्रेटर चलाया गया तो सेंट्रिंग कमजोर हो गई। और पूरी छत भरभराकर गिर गई।
वाइब्रेटर चलाने से गिरी छत
मौके पर मौजूद लोगों ने बताया कि तीसरी मंजिल पर एक पिलर में कांक्रीट भरी जा रही थी। कांक्रीट भरने के बाद एक मजूदर ने उसे सेट करने के लिए वाइब्रेटर चला दिया। कंपन के चलते तीसरी मंजिल की छत गिर गई। छत टूटकर दूसरी मंजिल पर आई तो वजन के चलते दूसरी मंजिल की छत भी गिर गई। इसके बाद सेंकंडों में सभी फ्लोर की छत जमीन पर आ गई।
तेज धमाके जैसी आवाज आई, धूल का बवंडर उठ गया
शाम करीब 6 बजे वे वहां से निकल रहे थे। तभी उन्हें अचानक तेज आवाज के साथ बिल्डिंग की छत गिरते देखी। इसके पहले की वे कुछ करते पूरी बिल्डिंग ही ढह गई थी। मलबे के ढेर से उठे धूल के बवंडर में कुछ नजर नहीं आ रहा था, लेकिन लोगों की चीख-पुकार मचने लगी थी। कुछ ही देर में आसपास के बड़ी संख्या में लोग वहां पहुंच गए। हमने 108 और डायल 100 को सूचना देते हुए घायलों को निकालना शुरू कर दिया। घायलों में महिलाएं भी शामिल थीं।
महेश कुमार, प्रत्यक्षदर्शी