जेटली के बजट से RSS खुश नहीं, BMS नाराज

नईदिल्ली। परंपराओं को तोड़ते हुए चुनाव से पहले 1 फरवरी को पेश किया गया बजट लगभग हर वर्ग को निराश कर गया। यहा तक कि भाजपा को सत्ता तक पहुंचाने के लिए रेड कार्पेट तैयार करने वाला संगठन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कार्यकर्ता भी खुश नहीं हैं। सोशल मीडिया पर संघ के नेताओं ने कोई अच्छी समीक्षा नहीं की है। कुछ ने तो नाराजगी भी जाहिर कर दी है। इसके साथ ही संघ से संबद्ध संगठन भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) आम बजट पर लाल पीला है। 

बीएमएस ने प्रदर्शन की धमकी देते हुए बजट को मकसद पर खरा उतरने में विफल बताया है। बीएमएस के राष्ट्रीय महासचिव बृजेश उपाध्याय ने बयान जारी कर कहा है कि नोटबंदी के जरिए बड़ी संख्या में नकदी का संग्रह हुआ है, लेकिन इसे सामाजिक खर्च की ओर नहीं बढ़ाया गया है। मनरेगा के मद में भी बजट आवंटन बढ़ा है मगर ये बढ़त बेहद मामूली है। इससे नोटबंदी के वजह से शहर और गांवों में बढ़ी बेरोजगारी को दूर करने में मदद नहीं मिलेगी। 

टैक्स रियायत में भी उतनी राहत नहीं दी गई है जितनी की उम्मीद थी। उन्होंने कहा है कि देश के गरीब, मजदूर और  सैलरी वर्ग को बजट से निराशा हाथ लगी है। उस आम आदमी को भी कुछ नहीं मिला है जिसने नोटबंदी के कदम को सफल बनाने में भरपूर साथ दिया था।  तो लघु उद्योग भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश मित्तल ने अमर उजाला से बातचीत में बताया कि बजट में लघु उद्योग को मिली रियायत स्वागत के योग्य है। 
उन्होंने कहा कि 50 लाख के टर्न ओवर वाली कंपनियों का प्रत्यक्ष कर 30 प्रतिशत से 25 किया गया है। इस 5 प्रतिशत की छूट से लघु उद्योग को बडी राहत मिलेगी। मुद्रा योजना की राशि को बढ़ाकर 2.44 लाख करोड़ किए जाने से भी लघु उद्योग को फायदा होगा। साथ ही उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री ने कंपनियों के ऑन लाईन छंटनी की पुरानी मांग को भी स्वीकार किया है। तो नीजि लोगों को दी गई कर रियायत भी स्वागत योग्य कदम है।

किसान नेता अजय काकरा ने बजट को सकारात्मक बताया है। इससे कृषि क्षेत्र खेती पर और फोकस रहेगा। क्रेडिट, बीमा योजना, सिंचाई परियोजनाओं और ई-नाम सरीखे योजनाओं से देश की खेती को दिशा मिलेगी। और किसानों की आय दोगुनी होने में मदद मिलेगी।

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