
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि बड़े जिला अस्पतालों में हर दिन करीब 15-20 मरीजों को सीटी स्कैन की जरूरत होती है, लेकिन सरकारी अस्पतालों में यह सुविधा नहीं होने से मरीजों को निजी जांच केन्द्रों में जाना होता है। यहां सीटी स्कैन की जांच 1600 से 2500 रुपए में होती है। मरीजों की संख्या बहुत ज्यादा नहीं होने से सरकार खुद सीटी स्कैन नहीं लगाना चाहती। लिहाजा, सरकार पीपीपी से सीटी स्कैन मशीन लगाना चाहती है। कुछ अस्पतालों में पहले से सीटी स्कैन के लिए कक्ष तैयार हैं।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि पहले 14 जिला अस्पतालों में सीटी स्कैन मशीन पीपीपी लगाने की कवायद चल रही थी। मप्र पब्लिक हेल्थ सप्लाई कॉर्पोरशन के जरिए इसके लिए टेंडर भी कर दिए गए थे, लेकिन टेंडर में प्रति सीटी स्कैन 1780 रुपए रेट आया है। यह निजी जांच केन्द्रों की दरों के करीब है, इसलिए स्वास्थ्य विभाग दोबारा टेंडर करने जा रहा है। स्वास्थ्य संचालक डॉ. केके ठस्सू ने बताया कि दोबारा टेंडर होने के बाद ही तय हो पाएगा कि मशीन कब तक लगेंगी और रेट क्या रहेंगी।
बता दें कि प्रदेश के कुछ जिला अस्पतालों में रीजनल डायग्नोस्टिक सेंटर्स केन्द्र सरकार के सहयोग से कई साल पहले शुरू किए गए थे। हर जगह सीटी स्कैन मशीनें हैं, लेकिन कुछ जगह मशीनें पुरानी हो गई हैं तो कुछ जगह सीटी स्कैन करने के लिए रेडियोलॉजिस्ट नहीं हैं।
एक हजार रुपए तक हो सकता है रेट
सूत्रों ने बताया कि आंध्रप्रदेश के सरकारी अस्पतालों में पीपीपी से सीटी स्कैन मशीनें लगाई गई हैं। यहां पर प्रति सीटी स्कैन एक हजार रुपए रेट है। इसी आधार पर मप्र में भी दोबारा टेंडर किया जा रहा है, जिससे कम रेट पर मरीजों की सीटी स्कैन हो सके।