यूपी इलेक्शन में स्मृति ईरानी का रोल कट क्यों किया गया

नई दिल्ली। टीवी सीरियल 'क्योंकि सास भी कभी बहू थी' से राजनीति में आई स्मृति ईरानी बहुत कम समय में भाजपा की महत्वपूर्ण नेता बन गईं थीं। वो प्रधानमंत्री मोदी की खास दरबारियों में से एक थीं। लोकसभा चुनाव में उन्होंने गांधी परिवार को घेरा और ना केवल चुनाव बल्कि चुनाव के बाद भी वो गांधी परिवार को तनाव देती ही रहीं। मोदी भी कई बार ईरानी के बयानों पर मुस्कुरा जाया करते थे फिर आखिर ऐसा क्या हुआ जो उत्तरप्रदेश के इतने चुनौतीपूर्ण चुनाव में स्मृति इरानी को कोई महत्व ही नहीं दिया गया। 

क्या मंत्रालय बदलने के बाद उनका कद घटा दिया गया है या कोई और वजह है? पिछले एक महीने के दौरान वे केवल एक बार उत्तर प्रदेश के दौरे पर गईं और वह भी पार्टी मुख्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर वापस लौट आईं। पांच फरवरी को पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने तीन तलाक के मुद्दे पर बातचीत की। उन्होंने मायावती, राहुल गांधी और अखिलेश यादव से इस मुद्दे पर अपना स्टैंड साफ करने को कहा। उसके बाद से स्मृति गायब हैं। 

स्मृति न सिर्फ एक स्टार प्रचारक हैं बल्कि अच्छी वक्ता भी हैं। फिल्मी बैकग्राउंड होने की वजह से भी वे काफी लोकप्रिय हैं। वे 1998 में मिस इंडिया के फाइनल में पहुँची, लेकिन जीत नहीं पाईं। अब स्मृति इरानी ने राजनीतिक जीवन में अपनी अलग जगह बना ली है। खासतौर पर 2014 के लोकसभा चुनाव में अमेठी से कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ अच्छा मुकाबला करने के बाद।

केवल 15-20 दिन के प्रचार के बाद ही वे राहुल के साथ सीधे मुकाबले में आ गई थीं। दूसरी तरफ, आम आदमी पार्टी के कद्दावर नेता कुमार विश्वास दो महीने से अमेठी में डेरा डाले रहने के बावजूद चंद हजार वोट ही बटोर पाने में कामयाब हो पाए। अमेठी के लोकसभा चुनाव दौरान वे स्थानीय लोगों से इंस्टैंट कनेक्ट बनाने में सफल रही थीं। खासतौर पर महिलाओं में उन्होंने अच्छी पैठ बना ली थी।

मोदी की करीबी कहलाती थीं
स्मृति इरानी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी नेताओं में शुमार किया जाता है। यही वजह है कि उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में मानव संसाधन विकास मंत्रालय जैसे महत्वपूर्ण विभाग की जिम्मेदारी मिली। हालांकि शिक्षा के भगवाकरण को लेकर उन पर काफी आरोप लगे तो कभी अपनी शिक्षा को लेकर वे सवालों के घेरे में खड़ी नजर आईं, लेकिन उन्होंने सभी चुनौतियों का डटकर मुकाबला किया। संसद में रोहित वेमुला के मामले पर दिए उनके भाषण के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गए थे लेकिन पिछले फेरबदल में मोदी ने उन्हें टेक्सटाइल मिनिस्ट्री में भेज दिया। हालाँकि वहां भी उन्होंने खादी को बढ़ावा देने को लेकर हेडलाइन्स बटोरने की कोशिश की लेकिन अब लाइमलाइट से बाहर हो गईं। कुछ ऐसे जैसे किसी ने सिमोट से आॅफ कर दिया हो। 

ये हैं स्मृति ईरानी से जुड़े बड़े विवाद
  1. मंत्रालय मिलते ही सबसे पहले उनकी डिग्रियां विवादों में आईं। उन पर अपनी एफीडेविट में गलत जानकारी देने का आरोप लगता रहा है। ईरानी पर दो अलग चुनावी शपथपत्र में अपनी शिक्षा के बारे में अलग-अलग जानकारी देने का आरोप है।
  2. हैदराबाद यूनिवर्सिटी में छात्र रोहिल वेमुला की आत्महत्या के बाद भी स्मृति ईरानी निशाने पर आईं थीं। रोहित की मौत पर ईरानी को संसद में बयान तक देना पड़ा था। उस बयान पर भी विपक्ष ने उन्हें घेर लिया था।
  3. बिहार के शिक्षा मंत्री के साथ डियर पर उनकी लड़ाई भी सुर्खियों में रही थीं। बिहार के शिक्षा मंत्री द्वारा डियर कहना ईरानी को नहीं सुहाया था। इस पर उन्होंने फौरन आपत्ति जताई थी। इस पर भी लोगों ने उन्हें आड़े हाथ लिया।
  4. अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के अल्पसंख्यक दर्जे को लेकर भी HRD मंत्रालय सक्रिय हुआ था। इस पर भी HRD मंत्री निशाने पर आई थीं।
  5. स्मृति ईरानी के शिक्षा मंत्री बनने के बाद यूजीसी के निर्देश पर दिल्ली यूनिवर्सिटी को चार साल का डिग्री कोर्स वापस लेना पड़ा था।
  6. इससे पहले जेएनयू विवाद तो काफी दिन तक उनके गले की फांस बना रहा। जेएनयू में राष्ट्रविरोधी नारे लगे थे।
  7. स्मृति ईरानी पर अपने मंत्रालय के अफसरों के साथ गलत बर्ताव का भी आरोप लगता रहा है। एक महिला IAS अफसर ने तो ईरानी पर ये भी आरोप लगाया था कि उन्होंने सार्वजनिक स्थल पर उन्हें डांटा था। वहीं एक अधिकारी का कहना था कि एक फाइल उन्होंने उन पर फेंकी थी।
  8. प्रियंका चतुर्वेदी के साथ हाल ही में उनका ट्विटर वार भी सुर्खियों में था। प्रियंका ने किसी मुद्दे पर सुरक्षा की बात की थी। इसमें उन्होंने ईरानी की जेड श्रेणी की सुरक्षा का जिक्र किया था। इस पर भी स्मृति ईरानी ने फौरन ट्विटर पर जवाब दिया था।
  9. न्यूक्लियर साइंटिस्ट अनिल काकोदकर ने भी HRD मिनिस्ट्री पर उनके कामकाज में दखल देने का आरोप लगाया था। IIT- Mumbai बोर्ड के चेयरमेन पद से उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद भी स्मृति ईरानी का आलोचना हुई थी।
  10. शिक्षा मंत्रालय ने आईआईटी में शाकाहारी छात्रों के लिए अलग कैंटीन की सिफारिश की थी। इस पर शिक्षा मंत्रालय की किरकिरी हो चुकी है।

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