
25 साल पहले हुकमचंद मिल बंद कर दी गई थी। साढ़े पांच हजार से ज्यादा मजदूर ग्रेच्युटी, वेतन और अन्य लेनदारियों के लिए भटक रहे हैं। मिल की साढ़े 42 एकड़ जमीन बेचकर इनका भुगतान किया जाना है। डीआरटी ने जमीन की नीलामी के लिए कई बार टेंडर बुलाए, लेकिन कोई खरीदार सामने नहीं आया।
मजदूरों के वकील धीरेंद्र सिंह पवार ने बताया कि वे अगली सुनवाई में सरकार के जवाब पर आपत्ति लेंगे। सुप्रीम कोर्ट में इस संबंध में कोई स्टे नहीं है। इसके बावजूद सरकार लैंड यूज बदलने की कार्रवाई नहीं कर रही।