अनूपपुर कलेक्टर समेत कई अधिकारियों को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस

राजेश शुक्ला/अनूपपुर। याचिकाकर्ता की ओर से सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट सुमित पचखण्डे के द्वारा याचिका सुप्रीम कोटज़् मे दायर की गई है। याचिकाकर्ता द्वारा नगर पालिका द्वारा नवीन बस स्टैण्ड, रैन बसेरा के निर्माण कार्य करवाये जाने में भ्रष्टाचार व पद का दुरूपयोग करने की शिकायत वर्ष 2014 मे निर्माण कार्य चालू किये जाने के समय ही जिला प्रशासन व मध्यप्रदेश शासन को कई पत्र प्रस्तुत कर कायज़्वाही की मांग की थी। जिस पर कोई भी कार्यवाही जिला प्रशासन द्वारा नही किया गया जिसके बाद याचिकाकर्ता द्वारा मामले को माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर मे प्रस्तुत किया गया। 

माननीय उच्च न्यायालय के आदेश दिनांक 28 अक्टूबर 2015 मे याचिकाकर्ता के सभी बिन्दु मे कायज़्वाही किये जाने हेतु संभागीय आयुक्त शहडोल, कलेक्टर अनूपपुर को 3 माह का समय देते हुये प्रस्तुत जनहित याचिका का निराकरण कर दिया गया था किन्तु कलेक्टर द्वारा नगर पालिका के निर्माण कार्य से संबंधित कार्यवाही की जॉच के आदेश न देते हुये अपने न्यायालय से दो पÞक्षो को सुनकर  दिनांक 29 माचज़् 2016 को नगर पालिका के पक्ष मे निराकरण किया गया जबकि मा. उच्च न्यायालय से पारित आदेश दिनांक 28 अक्टूर 2015 मे स्पष्ट निर्देश था की याचिकाकर्ता के उठाये गये सभी बिन्दु पर कार्यवाही की जाये जिस पर विधिवत जॉच न करते हुए मामले को अपने कोर्ट मे सुनवाई हेतु नियत कर किया गया है जो नियम कायदो के विपरित है जिस निर्माण कार्य व महत्वपूर्ण तथ्य को लेकर याचिकाकर्ता ने आवाज उठाई है उस बस स्टैण्ड की भूमि को लेकर कलेक्टर द्वारा एक ही विषय (बस स्टैण्ड भूमि आवंटन) पर दो नस्तियां चलाई जा रही है 1- का प्रकरण क्रमांक 10/अ-19 (3) 2009/10 है जो नियम पूर्वक प्रचलन मे है व 2- जिस पर याचिकाकताज़् आवाज उठा रहा है का प्रकरण क्रमांक 11/अ-19 (3) है जिसे याचिकाकर्ता के शिकायत के बाद दिनांक 18 अगस्त 2015 से प्रकिया मे लिया गया है। माननीय् उच्च न्यायालय के आदेश पर कलेक्टर द्वारा मामला क्रमांक 20/बी/121/2015-16 एवं प्रकरण 20/अपील 2015-16 दो प्रकरण के माध्यम से निपटारा किया गया है जो कि विधि विरूद्व है।

तत्कालीन कलेक्टर नंदकुमारम् व नरेन्द्र सिंह परमार द्वारा वित्तीय पोषण कराया जाना अर्थात उक्त निर्माणकार्य मे राशि आवंटित करना है जिससे उक्त निर्माण कार्य मे हुए अवैध कार्य तकनीकी व प्रशासनिक मे संलिप्त व अन्य नगर पालिका के तत्कालीन मुख्य नगर पालिका अधिकारी अनूपपुर शशि शंकर सुहाने एवं वर्तमान सीएमओ सुश्री कमला कोल का बचाव किया है। 

बस स्टैण्ड निर्माण कार्य मे उपयोग की गई भूमि रेल्वे की भूमि है के संबंध मे कोई भी कायज़्वाही व रेल्वे को सुने बिना ही निराकरण कर दिया गया है जबकि रेल्वे के द्वारा जिस भूमि मे निर्माण कार्य करवाया गया है वह रेल्वे की भूमि है व रेल्वे से भी विवाद उत्पन्न है इस विवाद को भली भांति जानते हुये भी गैर कानूनी रूप से निर्माण कार्य मे सही निराकरण न कर नगर पालिका के द्वारा किये गये भ्रष्टाचार मे सहयोग किया गया है साथ ही प्रकरण क्र 20/अपील 2015-16 मे विधिवत आदेश दिनांक 29 माचज़् 2016 को किये जाने के बाद पुन: पेशी नियत कर दिनांक 27 मई 2016 को 5 बिन्दुओं पर जॉच करवाये जाने का निर्देश अनुविभागीय अधिकारी को दिया गया है जिसे याचिकाकर्ता के द्वारा कलेक्टर के निराकरण 29 मार्च 2016 को व 27 मई 2016 को पुन: उच्च न्यायालय मे चुनौती दी गई जिसका पिटीशन क्र 13275/2016 मे उच्च न्यायालय के डिवीजन में सुनवाई दिनांक 10 जुलाई 2016 को कलेक्टर के निराकरण 29 माचज़् 2016 को सही मानते निराकरण किया गया एंव 27 मई 2016 के आदेश को सुनवाई मे लिया गया जिसे याचिकाकर्ता द्वारा एक ही प्रकरण मे दो आदेश 1 सही व एक मे सुनवाई हेतु सही माने जाने से व्यथित होकर माननीय उच्च न्यायालय के आदेश दिनांक 10 जुलाई 2016 के अंश भाग को सुप्रीम कोर्ट दिल्ली मे चुनौती दी गई है जिसका क्रं़ 33765/2016 है के सम्पूर्ण मामले को देखा जा सकता है मामले को वरिष्ठ न्यायालय भी सही मान रही है।

इनका कहना है
याचिकाकर्ता ने माननीय सुप्रीम कोर्ट मे नगर पालिका अनूपपुर के द्वारा कराये गये निर्माण कार्य जैसे नवीन बस स्टैण्ड व रैन बसेरा को लेकर एक याचिका प्रस्तुत की गई है जिसमे सभी संबंधितजनो को माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा नोटिस जारी कर दी गई है।
सुमित पचखण्डे
एडवोकेट, सुप्रीम कोर्ट नई दिल्ली

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