भोपाल। मुद्रित पुस्तकों का महत्व समाज मे चिरकाल से रहा है और आगे भी रहेगा। आज तकनीकी और संचार के क्षेत्र मे चाहे जो प्रगति हो जाऐ, पुस्तके मनुष्य की सहचरी सर्वदा रहेगी। यह उदगार है वरिष्ठ साहित्यकार डाँ देवेन्द्र दीपक के वे मुक्तक लोक साहित्यिक संस्थान लखनऊ की मप्र इकाई द्धारा स्वराज भवन मे आयोजित अखिल भारतीय गीतिका काव्योत्सव, पुस्तक लोकार्पण एंव सम्मान समारोह मे अध्यक्षता कर बोल रहे थे।
इस अवसर पर "गीतिका है मनोरम सभी के लिए साक्षा संकलन एंव दृगों में एक समंदर है' रचनाकार प्रो विश्वंभर शुक्ल कृतियों का लोकापर्ण भी किया गया मुख्य अतिथि के रूप मे विचार रखते हुऐ साहित्य अकादमी के निदेशक डाँ उमेश सिंह ने साहित्यकारों से ऐसा साहित्य सृजन करने का आव्हन किया जो समाज को सही मार्गदर्शन कर उसे कल्याणकारी मार्ग पर ले जा सके।
इस अवसर पर देश भर के विभिन्न अंचलो से पधारे साहित्यकारो का गीतिका शिखर सम्मान से सम्मानित किया गया। श्री अरूण अर्णव खरे को गीतिका संर्वधन के लिए गीतिका शिखर सम्मान से एंव श्री शोऐब सिद्धिकी को साहित्यिक गतिविधियों के प्रचार प्रसार मे सक्रिय भागीदारी एंव समंवय के लिए गीतिका प्रदीप सम्मान से सम्मानित किया गया।
घनश्याम मैथिल 'अमृत'
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