दलित को जिंदा जलाने वाले बाहुबलियों को सजा-ए-मौत

हाथरस। 27 साल पुराने जातीय संघर्ष में दलित व्यक्ति को जिदा जलाने पर एडीजे कोर्ट ने एक हत्यारे को फांसी व 11 लोगों को उम्र कैद की सजा सुनाई है। घटना वीभत्स थी, इसलिए कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया। 19 लोगों को संदेह का लाभ देते हुए रिहा कर दिया गया। 11 मार्च 1990 का दिन उप्र के हाथरस स्थित सासनी के गांव रुदायन में रहने वाले दलित समाज के लोगों के लिए काला दिन था।

गांव होली की खुमारी में डूबा हुआ था। रंजिशन शाम के समय दलितों के घरों पर हमला कर दिया गया। मशाल व लाठी लेकर लोग टूट पड़े थे। लगभग 32 घरों को आग के हवाले कर दिया गया था। दाताराम व उनकी पत्नी शांति देवी को दबंग उठाकर जंगल में ले गए थे। वहां दाताराम को गोली मारकर जलते लाह के ढेर में फेंक दिया था। इस वीभत्स घटना ने पूरे देश को हिला दिया था।

इस हिंसा के विरोध में दलितों का आंदोलन भी चला था। खुद बसपा सुप्रीमो मायावती ने सासनी पहुंचकर पीड़ित परिवार को न्याय का भरोसा दिलाया था। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की टीम ने भी छानबीन की थी। गांव के ही 55 लोगों के खिलाफ मृतक के छोटे भाई हरीशंकर ने मुकदमा दर्ज कराया था। जांच सीबीसीआइडी ने की और 52 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की। ट्रायल के दौरान बारह आरोपियों की मौत हो गयी।

बुधवार को एडीजे कोर्ट-तृतीय एसएन त्रिपाठी ने अंतिम सुनवाई करते हुए फैसला सुनाया। अभियोजन अधिकारियों ने कोर्ट में सोलह गवाह प्रस्तुत किए। पुख्ता सुबूत व गवाहों के आधार पर कोर्ट ने 12 लोगों को दोषी ठहराया।

आइपीसी की धारा 302/149 सपठित 3(2)(5) के तहत कुंवरपाल पुत्र भगवान सिह को मृत्यु होने तक फांसी पर लटकाने तथा एक-एक लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। जोगेंद्र व बाबू सिह उर्फ विजेंद्र को हत्या में ही उम्र कैद व एक-एक लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है।

इनके अलावा राजेंद्र, दिनेश, शंभू, संतोष, मुकेश, अनिल, अनिल, उमाशंकर व हरीओम को धारा 436/149 व एससी/एसटी एक्ट में उम्र कैद व 40-40 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है।

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!