भोपाल। मध्यप्रदेश में अफसरशाही के भी अपने ही रीति रिवाज हैं। कल तक जिस आदमी के पीछे पूरा प्रशासनिक महकमा लेफ्ट-राइट करता था, आज उसी व्यक्ति का फोन तक रिसीव नहीं करते। फर्क सिर्फ इतना है कि कल वो मप्र का मुख्यमंत्री था, आज पूर्व हो गया है। यहां बात मंत्रीमंडल से अचानक बेदखल कर दिए गण् विधायक बाबूलाल गौर की हो रही है।
अटल/अडवाणी के साथ भाजपा की नींव मजबूत करने का काम करने वाले भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं विधायक बाबूलाल गौर ने प्रश्नकाल में राजधानी के कचरा फेंकने वाली जगह के कारण फैल रहे प्रदूषण संबंधी सवालों पर प्रदेश की नगरीय प्रशासन मंत्री माया सिंह के उत्तर के दौरान अपना दर्द बयां किया। गौर ने सदन में कहा कि मेरे प्रश्न के उत्तर में सरकार ने आंशिक जानकारी दी है। मैंने कई बार विवेक अग्रवाल को फोन किया लेकिन उन्होंने कभी मेरा फोन नहीं उठाया। प्रदेश में नौकरशाही की यह स्थिति है।
नेता प्रतिपक्ष एवं कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक अजय सिंह ने गौर की बात का समर्थन करते हुए कहा कि अधिकारी जब प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री की ही नहीं सुन रहे हैं तो अन्य लोगों के साथ क्या करते होंगें? उन्होंने कहा कि सत्तारूढ़ भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री की यह स्थिति है तो यह अनुमान लगाया जा सकता है कि अधिकारी दूसरे लोगों के साथ कैसा बर्ताव करते होगें।
एक रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए गौर ने दावा किया कि शहर का कूड़ा डालने के मैदान से होने वाले प्रदूषण के कारण इसके आसपास की कॉलोनियों में रहने वाले 93 प्रतिशत लोग गंभीर बीमारियों से पीड़ित हैं। उन्होंने कहा कि भोपाल नगर निगम के लगभग छह-सात वार्ड कचरे के मैदान से होने वाले प्रदूषण की चपेट में हैं। मंत्री ने बताया कि सरकार लोगों को इस प्रदूषण से बचाने के लिए उचित कदम उठा रही है।