बालाघाट, नीमच और विदिशा में 136 करोड़ का डामर घोटाला

भोपाल। ठेकदार ने 136 करोड़ का डामर न तो खरीदा, न सड़क में इसका इस्तेमाल किया, फिर भी पीडब्ल्यूडी के इंजीनियरों ने दो बार (105.26 व 30.96 करोड़) बिना बिल की रकम ठेकेदारों को जारी की। मामले में लोकायुक्त ने जांच प्रकरण पंजीबद्ध कर लिया है। मामले का खुलासा कैग की रिपोर्ट 2015 में हुआ था। जिसके बाद इंदौर के धीरज मोहनिया ने इसकी शिकायत 4 जुलाई 2015 में लोकायुक्त से की थी।

पीडब्ल्यूडी के इंजीनियरों ने उन 16 सब डिवीजन में 90 मुख्य जिला सड़कों (एमडीआर) और 437 अन्य सड़कों के निर्माण में ठेकेदारों को भुगतान कर दिया, जिसमें 16.161 मेट्रिक टन बिटुमिन (डामर) का उपयोग के बिल पेश ही नहीं किए। इसके बावजूद उन्हें 105.26 करोड़ का भुगतान कर दिया गया।

कैग की रिपोर्ट के अनुसार 3 सब डिवीजन बालाघाट, नीमच और विदिशा में 13 एमडीआर और 94 अन्य सड़कों के निर्माण में पेक्ड बिटुमिन के उपयोग की शर्त थी, लेकिन ठेकेदारों ने या तो बिल पेश नहीं किए या पेक्ड बिटुमिन के स्थान पर बल्क बिटुमिन के डुप्लीकेट बिल लगाए।

विभाग ने भी बिना पेक्ड बिटुमिन के उपयोग को सुनिश्चित किए ठेकेदारों को 30 करोड़ 96 लाख का भुगतान कर दिया। रिपोर्ट के अनुसार पेक्ड और बल्क बिटुमिन के रेट में तीन हजार रुपए प्रति मेट्रिक टन का अंतर होने के चलते 1.26 करोड़ रुपए की वसूली भी बताई थी जो कि अब तक नहीं हुई।

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