
वन इण्डिया से बात करते हुए रिटायर्ड सिपाही चहन सिंह ने बताया कि वह बीती 17 फरवरी 2011 को वह अपने साथी पुलिसकर्मियों के साथ हापुड़ अड्डे पर ड्यूटी दे रहे थे।
अधिकारियों से उन्हें आदेश मिला था कि ब्रह्मपुरी की ओर से रविदास जयंती जुलूस आ रहा है, इसलिए किसी भी चार पहिया वाहन को उस दिशा में जाने नहीं दिया जाए। इस आदेश के पालन में उन्होंने एक सफेद जीप को जाने से रोक दिया। रिटायर्ड सिपाही चहन सिंह का आरोप है कि उस सफेद जीप को रोकने के बाद जीप सवार लोगो ने तत्कालीन बसपा सरकार के मंत्री याकूब कुरैशी को उनके अपने समर्थकों के साथ वहां बुला लिया।
पूर्व मंत्री ने चहन सिंह के साथ गाली गलौज करते हुए उन्हें थप्पड़ मार दिया, उनकी वर्दी भी फाड़ दी। उस समय उन्होंने एसपी सिटी के दफ्तर में पूरी घटना की लिखित में तहरीर दी और एसपी सिटी ने मुकदमा दर्ज कर उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया। बाद में तहरीर पर तो कोई कार्रवाई नहीं हुई, लेकिन उन्हें इस मामले को खत्म करने की सलाह दी गई। सत्ता के दवाव में अधिकारियों ने उनका वेतन भी रोक दिया। कोर्ट में जाने के बाद वेतन तो मिलने लगा पर शोषण जारी रहा। अधिकारियों के रवैये से परेशान चहन सिंह ने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने बताया कि कुरैशी के खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट में यह मामला फिलहाल पेंडिंग है।
चहन सिंह का कहना है कि उन्हें झूठे केस में फंसाया गया। जान से मारने की नीयत से गोली चलाई गई। मंत्री के दबाव में काम कर रही पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने की जगह असंज्ञेय अपराध बताकर मामले को खत्म कर दिया। अब रिटायर्ड सिपाही चहन सिंह का कहना है कि वह सिर्फ अपने स्वाभिमान के लिए नहीं लड़ रहे हैं। यह लड़ाई फोर्स के उन सभी साथियों के लिए है जिनकी आवाज दबा दी जाती है। उनका कहना है कि अगर वह चुनाव जीत गए तो एक ऐसा कानून बनवाने का प्रयास करेंगे जिससे वर्दी पर कोई हाथ न उठा पाए।