
दरअसल, एसपी ऑफिस पहुंची एक महिला पुलिस अधीक्षक से न्याय की गुहार लगा रही है कि साहब मेरी शादी बचा लो, मेरा पति दूसरी शादी करना चाहता है। मेरे मना करने के बावजूद भी वह नहीं मान रहा है। वह आपके ही विभाग में अफसर है और भिंड के फूप थाने में बतौर सब इंस्पेक्टर तैनात है। साल 2015 में हम दोनों ने भोपाल के नेहरु नगर स्थित आर्यसमाज मंदिर में प्रेम विवाह किया था। अब वह मुझे घर से मारपीट कर बाहर निकाल दिया है।
हालांकि दोनों ने शादी तो कर ली, लेकिन जाति अलग होने की वजह से महिला को सब इंस्पेक्टर के परिवारवालों ने स्वीकार नहीं किया। महिला का आरोप है कि उसका पति दूसरी शादी करना चाहता है। अपनी फरियाद लेकर पीड़िता महिला थाने से लेकर एसपी ऑफिस में घंटों तक बैठी रही, लेकिन उसकी कोई सुनावाई नहीं हुई।
पीड़िता ने बताया कि वह ब्राह्मण है जबकि उसका पति आरक्षित वर्ग है। लिहाजा उसके ससुराल वालों ने उसे अपनाने से इनकार कर दिया। जिसके कुछ दिनों बाद दोनों के बीच भी छोटी-छोटी बातों को लेकर विवाद होने लगा। अब वह उसे छोड़कर दूसरी शादी करना चाहता है। शुक्रवार की रात भी इसी बात को लेकर विवाद हुआ और उसने मारपीट कर घर से बाहर निकाल दिया।
सब इंस्पेक्टर के खिलाफ थाने में कार्रवाई हो भी तो कैसे?
पीड़िता अपनी गुहार लेकर फूप थाने पहुंची, लेकिन उसी थाने में तैनात सब इंस्पेक्टर के खिलाफ भला कार्रवाई करता भी तो कौन। लिहाजा मायूस पीड़िता एसपी ऑफिस का दरवाजा खटखटाई। वहां भी अधिकारियों ने उसको चार घंटे तक बैठाकर रखा, फिर भी कोई कार्रवाई नहीं की, लेकिन जब मीडिया ने इस मामले में दखल दिया तो अधिकारी भी हरकत में आए और उसके पति के खिलाफ कार्रवाई की बात कहने लगे।
जब वर्दी वाला ही है आरोपी, तो कैसे हो कार्रवाई
हालांकि ये मामला किसी सामान्य व्यक्ति से जुड़ा होता, तो शायद अब तक उसकी गुहार सुन भी ली गई होती। लेकिन आरोप खाकी वर्दी वाले पर लग रहा है, तो फिर सही समय पर माकूल कार्रवाई हो भी तो भला कैसे?