मुंबई। सेक्स को लेकर लंबे समय से भारतीय समाज में हमेशा दबी आवाज में ही चर्चा होती रही है। मगर, कौमार्य हमेशा से एक ऐसा विषय रहा है, जो वर्जित माना जाता है, बावजूद बहस का केंद्र रहता है। विशेष रूप से जब यह जीवन साथी को तलाश करने की बात रही हो।
भारतीय समाज में कौमार्य को गंभीरता से लिया जाता है, लेकिन इसमें पुरुषों को सामाजिक जांच से छूट मिली है। जबकि, महिलाओं के बारे में फैसला इसी आधार पर लिया जाता है कि वे कुंवारी हैं या नहीं। मगर, अब समय बदल रहा है। कुछ लोग खुलकर कहने लगे हैं कि वे अपने सेक्स पार्टनर के रूप में नॉन-वर्जिन लड़की को अहमियत देंगे।
इस सोच वाले पुरुषों का मानना है कि लड़की का कौमार्य भंग होने का अर्थ यह नहीं है कि वह किसी अन्य लड़की से कमतर है। अधिकांश लड़के अब वास्तव में नॉन-वर्जिन लड़कियों को पसंद कर रहे हैं। दरअसल, इससे उनके संबंध बनाने में सहजता होती है और अधिक संतोष मिलता है।
किसी लड़की के कुंवारी होने या उसके कौमार्य भंग होने से उसके समर्पण और रिश्ते में प्रतिबद्धता के स्तर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। जितने भी पुरुषों का साक्षात्कार किया गया सभी ने उल्लेख किया कि लोगों को अपने कौमार्य को खोने की बात पर शर्म महसूस नहीं करनी चाहिए फिर चाहें वे लड़के हों या लड़की।